आज दिन में रात है, यह सुबह की बात है ।
कुर्सियों की ताक में, स्वार्थ की शुरुआत है ।।
मतलबी, मौका-परस्ती , आदमी की जात है ।
झूठ और पाखंड की , जिंदगी बारात है ।।
कौम के न काज के ये, पीढ़ियों पर घात है ।
पद पिताजी बन रहे, कुर्सियां सब मात है ।।
चंद सिक्को का सहारा, झूठ की औकात है ।
कल उगेगा ये भरोसा, सब तुम्हारे हाथ है ।।
झूठ आखिर झूठ होगा, सौ टका सही बात है ।
सत्य का डंका बजेगा, सच अमन के साथ है ।।
मुकेश बोहरा अमन
बाड़मेर राजस्थान
8104123345