नन्ही सी खामोश सी वो आंखे
एक दिन तुमसे पूछेगी
आखिर कहां गए मेरे खिलौने
क्यों नहीं वापस आए मेरे पापा
भईया कहां रह गए मम्मा
पता नहीं क्या उत्तर देना पड़ेगा
खामोश रहेंगे या सच बताएंगे।
सारी दुनिया से अपनी
पहचान मिटा के चले गए
कुछ पल की सारी खुशियां
अरमान लुटा के चले गए
एक तमन्ना थी दिल की
मेरा देश खुशहाल रहे
इसलिए वो देश पर अपनी
जान लुटा के चले गए।
युद्ध लड़े नहीं जाते
वो थोपे जाते हैं
युद्ध जीते नहीं जाते
मानवता खोया जाता है
युद्ध जीते नहीं जाते
वो भुगते जाते हैं।
युद्ध कभी सम्मान नहीं होता
युद्ध शमशान होता है।
युद्ध में मारा इंसान जाता है
मारी मानवता जाती है।
:- निकहत प्रवीण
बसंतपुर बंगला
अमनौर