हवा बेचने वाले

बढ़ने लगे आज हवा बेचने वाले

तंदुरुस्त रूहों को दवा बेचने वाले

पल-पल बढ़ रहे हैं कयामत के खतरे

कहां रह गए वो सदा बेचने वाले

शराफत की कसमें पाक साफ वायदे

क्यों करने लगे आज अदा बेचने वाले

इस वतन के जर्रे जर्रे में फैले हैं

नादान मासूम हाथों को खता बेचने वाले

हाल बुरा है प्यारी सोने की चिड़िया का

घिर गए हैं हरसू रजा बेचने वाले

बेच बेचकर खूनी खंजर और अरमान

बन गए हैं खुद को सजा बेचने वाले

मायूसियों  से हम भला घबराए क्यों

आएंगे जरूर जल्द मजा बेचने वाले

डॉ टी महादेव राव

विशाखापटनम (आंध्र प्रदेश)

9394290204