मया पिरीत के जिहा दूलार,
बोहाथे पिरीत के निरमल धार ।
गजब मयारु हमर गंवई गांव,
लीपे पोते घर अंगना दुवार ।।
अमरय्या ह निक लागे,
सुग्घर बर पीपर के छांव ।
कोयली के गुरतुर बोली,
अउ कउवां के कांव-कांव ।।
अबे संगी तय मोर गंवई गांव….
नोनी मन के धुर्रा माटी ,
अउ बाबू मन के भंवरा बांटी ।
बखरी के टेरा पाटी ,
गोरी के सुग्घर पांव के छांटी ।।
तरिया नदियां नरवा,
म डूबकी लगा लें ।
जिहां बैइठे देवता,
धामी ठांव-ठांव ।।
अबे संगी तय मोर गंवई गांव…
दया मया ह रग -रग म बसे,
जागर टोर मेहनत करें ।
सुख -दुख के संगवारी हे,
हांसत गांवथ जिनगी जिए ।।
चैतू ,बुधारु,समारू अउ,
इतवारी हबे सुग्घर नांव ।
अबे संगी तय मोर गंवई गांव ….
डोमेन्द्र नेताम (डोमू )
मुण्डाटोला डौण्डीलोहारा
जिला- बालोद ( छत्तीसगढ़)