चार दिन के जिनगी…..

चार दिन के जिनगी के का ठिकाना हे,

बुलावा तोर आही ताहन माटी म मिल जाना हे ।

1. हाय हाय झन कर, नई आवे तोर काम जी,

दया धरम कर ले तय ह, होही तोर नाम जी ।

थोकिन हाँस गोठिया ले, थोकिन भजले राम जी,

असीस मिलही तोला, तै जाबे परम् धाम जी ।

इही बैतरनी ल ,सब ल पार लगाना हे,

चार दिन के जिनगी के का ठिकाना हे ।

2. गरब मानुस तन के तोला, जाने कब गंवा जाहि,

माटी के चोला संगी, माटी म मिल जाहि ।

फेर कर ले जतन तै अपन करम के,

इही करम के तोर लेखा लिखाही ।

सुघ्घर करम गति हम सब ला पाना हे ,

चार दिन के जिनगी के का ठिकाना हे ।

3. दुनियां के रिश्ता नाता छोड़े ल पड़ही

दु गज भुइँया ले नाता जोड़े ल पड़ ही ।

चीज बस, महल अटारी सब बिरथा हे संगी ,

नई जावे संग म, सब इंहचे बिसर ही ।

मुठा बांधे आय हन , हाथ पसारे जाना हे,

चार दिन के जिनगी के का ठिकाना हे ।

उषाकिरण निर्मलकर

करेली छोटी, धमतरी छत्तीसगढ़

8963956080