चार दिन के जिनगी के का ठिकाना हे,
बुलावा तोर आही ताहन माटी म मिल जाना हे ।
1. हाय हाय झन कर, नई आवे तोर काम जी,
दया धरम कर ले तय ह, होही तोर नाम जी ।
थोकिन हाँस गोठिया ले, थोकिन भजले राम जी,
असीस मिलही तोला, तै जाबे परम् धाम जी ।
इही बैतरनी ल ,सब ल पार लगाना हे,
चार दिन के जिनगी के का ठिकाना हे ।
2. गरब मानुस तन के तोला, जाने कब गंवा जाहि,
माटी के चोला संगी, माटी म मिल जाहि ।
फेर कर ले जतन तै अपन करम के,
इही करम के तोर लेखा लिखाही ।
सुघ्घर करम गति हम सब ला पाना हे ,
चार दिन के जिनगी के का ठिकाना हे ।
3. दुनियां के रिश्ता नाता छोड़े ल पड़ही
दु गज भुइँया ले नाता जोड़े ल पड़ ही ।
चीज बस, महल अटारी सब बिरथा हे संगी ,
नई जावे संग म, सब इंहचे बिसर ही ।
मुठा बांधे आय हन , हाथ पसारे जाना हे,
चार दिन के जिनगी के का ठिकाना हे ।
उषाकिरण निर्मलकर
करेली छोटी, धमतरी छत्तीसगढ़
8963956080