भोपाल। भोपाल संभाग के 5 जिलों में खरीफ 2022 में खरीफ फसल हेतु 1887.85 हजार हेक्टर क्षेत्र प्रस्तावित है। यह जानकारी कमिश्नर गुलशन बामरा ने कृषि उत्पादन आयुक्त अजित केसरी को दी। भोपाल और नर्मदापुरम संभाग की रबी 2021-22 की समीक्षा और खरीफ 2022 की तैयारी की शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा की गई। बैठक में उत्पादन गतिविधियों से जुड़े अधिकारी, विभाग प्रमुख और कलेक्टर्स उपस्थित थे। कृषि उत्पादन आयुक्त श्री केसरी ने कहा कि बीज-खाद और उर्वरक की पर्याप्त उपलब्धता है। संबंधित विभाग इनका सही रूप से वितरण कराएं। उन्होंने कलेक्टर्स को निर्देश दिए कि उत्पादक गतिविधियों में नेतृत्व करें। उन्होंने पेस्टीसाइड के उपयोग पर रोक लगाने और अमानक खाद-बीज का विक्रय रोकने के भी सख्त निर्देश दिए। नरवाई जलाने की बढ़ती घटनाओं को भी कृषि उत्पादन आयुक्त ने गंभीरता से लिया और कलेक्टर्स को निर्देश दिए कि एफआईआर दर्ज कराएं तथा जुर्माना भी वसूलें। श्री केसरी ने मुख्यमंत्री की मंशानुरूप प्राकृतिक खेती का रकबा वास्तविक रूप से बढ़ाने के लिए भी कहा। बैठक में बताया गया कि प्रस्तावित खरीफ 22 के रकबे में क्रमशः सोयाबीन 56 प्रतिशत धान 21 प्रतिशत उड़द 12 प्रतिशत, शेष फसल मूंगफली, तिल, अरहर, मूंग एवं ज्वार एवं अन्य का 11 प्रतिशत शामिल है। सोयाबीन एवं दलहनी फसलों में कीट-व्याधि जैसे तना छेदक, जड़ सड़न एवं यलो मोजेक से अत्यधिक नुकसान होता है इससे फसलों के बचाव के लिए सभी प्रकार की सावधानी हेतु संभाग स्तर पर प्रचार प्रसार किया जाएगा। बैठक में बताया गया कि भोपाल संभाग बीज वितरण व्यवस्था योजनाओं में विगत वर्ष वितरण के आधार पर बीज का आकलन जिला स्तर पर कर लिया गया है। बीज प्रदायक संस्थाओं से बीज उपलब्धता की जानकारी प्राप्त कर ली गई है। उर्वरक व्यवस्था में भी उर्वरक वितरण एवं आदान गुण नियंत्रण की सत्त समीक्षा की जाकर शत प्रतिशत पूर्ति कर ली जाएगी। रबी 2021-22 की समीक्षा के दौरान बताया गया कि 1878.84 हजार हेक्टर क्षेत्र में बोनी की गई। जिसमें गेहूँ 1388.63 हजार हेक्टर 74 प्रतिशत, चना 293.92 हजार हेक्टर 16 प्रतिशत क्षेत्राच्छादन रहा है। संभाग में रबी 2021-22 में सरसों एवं खरीफ में मक्का को छोड़कर शेष सभी फसलो की उत्पादकता भारत एवं मध्यप्रदेश से अधिक है। बैठक में बताया गया कि सीहोर जिले की गेहूँ फसल की उत्पादकता देश के सभी प्रदेशों की उत्पादकता से अधिक है। संभाग में वर्ष 2021-22 मे ग्रीष्मकालीन फसलों का क्षेत्र 198.96 हजार हेक्टर अनुमानित है, जो विगत वर्ष 102.99 हजार हेक्टर की तुलना में 95.97 हजार हेक्टर अधिक है। ग्रीष्मकाल में मूंग की फसल ली जाती है जिससे उपयुक्त फसल चक एवं भूमि की उर्वरा शक्ति बनी रहती है। संभाग में मूंग का सबसे अधिक क्षेत्र रायसेन एवं सीहोर जिले में है। बैठक में बताया गया कि संभाग के सभी जिलों में नोडल अधिकारी की नियुक्ति की गई तथा जिलों में उर्वरक भंडारण एवं उपलब्धता का मैदानीस्तर पर व्यापक प्रचार-प्रसार किया गया। डी.ए.पी. के स्थान पर विकल्प के रूप मे एनपीके का उपयोग किए जाने हेतु किसानों में मैदानीस्तर पर पंपप्लेट, के०व्ही०के० एवं मैदानी अमले के माध्यम से प्रचार-प्रसार किया गया। विदिशा जिले में राई एवं सरसों के कार्यक्रम की शत-प्रतिशत पूर्ति की गई। संभाग में किसानों को तिवड़ारहित चने की वुबाई हेतु प्रोत्साहित किया गया। जिससे की इस वर्ष उपार्जन में तिवड़ा की समस्या नहीं आई। रबी 2021-22 मे संभाग मे गेहूँ 74 प्रतिशत, चना 16 प्रतिशत, मसूर 7 प्रतिशत, सरसों 3 प्रतिशत फसलों का क्षेत्राच्छादन रहा है। बैठक में सहकारिता, उद्यानिकी, मार्कफेड, पशुपालन और मछली पालन, कृषि उपज मंडी तथा दुग्ध संघों की गतिविधियों की भी समीक्षा की गई।