उलझी जिंदगी

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परेशानियों की धूंध,

मुझपे गिरती इस कदर,

खुद लिपटते जा रहे,

सवालों की रजाई में…….

ढूंढते हैं हल कुछ,

ना जाने इस कदर,

अलाव की गर्मी भी,

बहते आंसू बन बनकर……

ना जाने कितनी सर्दियां,

इस उम्र में गुजारी है,

तपती बैसाख में भी,

दिल आंसूओं से भर आती है……

छलकते नयन पुछ रहे,

सौ सवाल उम्र की दहलीज पर,

मौत भी तो आ जाए,

तैयार हम खड़े हैं……

ऐ खुदा तेरी रहमत,

ना कुछ मुझे समझ आ रही,

धुप भी ना खिलने दी तुने,

मेरे सब्र के आशियाने में…….

मौत दस्तक दे रही,

जिंदगी के दरवाजे पर,

तूं भी खुब खेलता,

मेरे जिंदगी के चौराहे पर,

मेरे जिंदगी के चौराहे पर…….

 “….. ✍️मधुबाला शांडिल्य”

डाॅड़ै, गोड्डा, झारखंड

          7079966881