पहली बारिश,,पहली कविता सी

अनमनी सुबहों को,,तपती दोपहरियों को

उदास रेगिस्तानों को,,खेतों खलिहानों को

कागज़ की नावों को,,रुमानी शरारतों को

इंतज़ार की शामों को,,उमस भरी रातों को

तेरे मेरे एहसासों को,,ठहरे जज़्बातों को

और,,

नीरस कविताओं को,,अधलिखे प्रेम पत्रों को,,

बादलों से झरती हुई वो 

धीमी धीमी सी

पहली बारिश

अपने गीलेपन की भाषा में

एक पहली सी कविता ही तो है,,है न !!

नमिता गुप्ता “मनसी”

मेरठ, उत्तर प्रदेश