“आदमी खिलौना हो गया”

सितम बस इतना हो गया ,आदमी खिलौना हो गया।।

थक हार के घर आए, बच्चो ने कहा पापा क्या लाए ??

अपनो की खुशीयों में खुद से ही खो गया l 

आदमी खिलौना हो गया ll

तनख्वाह का सहारा, कंधो पे बोझ सारा,,

ज़हर का घूंट पी कर, कई बार मन में सिसक के रो गया ।

आदमी खिलौना हो गया ।।

जिम्मेदारियों में डूब कर, परिस्थितियों से जूझ कर ,,

फर्ज अपने निभाते हुए ,खुद बेसहारा हो गया ।

आदमी खिलौना हो गया।।

किसी ने ना समझा उसको, किसी ने ना जाना उसको,

अपनी ख्वाइशों और तन्हाइयों के बीच खड़ा वो हो गया ।

आदमी खिलौना हो गया ।।

फटी बनियान के सहारे, अपनो के दिए ज़ख्म सारे,

तड़प कई दिनों की साथ लिए, कफन ओढ़ के सो गया ।

आदमी खिलौना हो गया। ।।

मोहित कुमार उदासी 

इंदौर (म.प्र.)

9993383821