किसी ने कहा कि
रिश्ते पहाड़ जैसे होते हैं,
जब तक आवाज़ न दो
उधर से आवाज़ नही आती।
शत प्रतीशत सत्य
रिश्ते पहाड़ जेसे ही होते हैं।
कुछ दिन रिश्तों मे गर्माहट रहती है,
फिर पहाड़ की ठन्डक की तरह
बर्फ में दफ़न हो जाते हैं।
आज के रिश्ते
पहाडी़ रास्तों की तरह हैं,
कुछ दूरी सीधे तय कराते हैं
किस पल किधर मुड़ जाते हैं,
पता ही नहीं चलता।
पहाडी़ पगडन्डियाँ भी अनोखी हैं,
रंग बिरंगे फूलो से अटी,
जब चल पडो़ उन पर ,
काँटों की सौगात थमा देती हें।
आज के रिश्ते
पहाड़ जितने भारी हैं,
अपेक्षायें इतनी ज्यादा कि
पूरी करते -करते
दम निकल जाये,
जेब ढीली हो जाये,
किन्तु किसी को समझ भी
न आये।
बेला विरदी
1381, सेक्टर 18
जगाधरी-हरियाणा
8295863204.