:: वर्षों बाद इन्दौर की सड़कों पर अखाड़ों के करतब देखे लोगों ने, बीएसएफ के बैंड ने दी अहिल्या बाई को राजसी सलामी ::
इन्दौर। 227वीं पुण्य तिथि के अवसर पर दो वर्ष बाद अपने परम्परागत स्वरूप एवं वैभव के साथ देवी अहिल्या की पालकी यात्रा गांधी हाल से निकाली गई। पालकी यात्रा में मौजूद विभिन्न समाजों की उपस्थिति, बटुकों का मन्त्र उच्चारित करते चलना, बाइकर्स के करतब, अखाड़ों के कलाकारों का प्रदर्शन, अश्व पर विराजित किशोरियों की उपस्थिति ने इसे अब तक की सबसे बड़ी पालकी यात्रा में बदल दिया।
यात्रा के प्रमुख सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि पालकी यात्रा का शुभारम्भ देवी अहिल्या के पूजन से हुआ। सम्पूर्ण पालकी यात्रा का राजसी वैभव होलकर कालीन युग की याद ताजा कर रहा था। बैलगाड़ी पर शहनाई वादक मीठी गूंज के साथ चल रहे थे। बाइकर्स अपना कमाल दिखाते हुए चल रहे थे। स्काउट एवं एनएसएस के युवा अपने अनुशासन के साथ मौजूद थे।
सुधीर देड़गे एवं राम मूंदड़ा ने बताया कि पालकी यात्रा में नेपाली संस्कृति तथा केरल संस्कृति की छटा बिखरते हुए समाजजन शामिल हुए। बटुकों का एक बड़ा समूह भी मंत्रोचार के साथ पालकी यात्रा में शामिल था। मंदार महाजन, रवींद्र गौड़, प्रेमप्रकाश वर्मा मार्ग की व्यवस्था देख रहे थे। पंकज फतेहचन्दनी भक्ति प्रिया समूह के साथ मौजूद थे।
प्रारम्भ में अश्वों पर युवतियों का श्रृंगार देखने लायक था। बोहरा समाज का बैंड भारतीय संस्कृति को समृद्ध कर रहा था। महिला सेना का होल्करयुगीन वैभव देखकर लोग विस्मित थे। अखाड़ों का करतब देखकर लोगों ने भारतीय मलखम्ब की विशेषता का जिक्र किया। भजन मंडलियां पूरे माहौल को धार्मिक कर रही थी।
पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन, केबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट, महापौर पुष्यमित्र भार्गव, विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष जयपालसिंह चावड़ा, पद्मश्री डॉ. विकास महत्मने, शैतानसिंह पाल, गोपी नेमा, सुदर्शन गुप्ता, निरंजन चौहान, आश्विन शुक्ला सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक पैदल इस यात्रा में शामिल हुए। यात्रा में दीपक जैन, सुधीर दांडेकर, सौरभ खंडेलवाल, मार्ग की व्यवस्था देख रहे थे। पालकी यात्रा का समापन गोपाल मंदिर पर हुआ जहाँ अहल्यामाता की आरती हुई एवं प्रसाद वितरण के साथ यात्रा का समापन हुआ।
:: माल्यार्पण एवं रूद्राभिषेक संपन्न ::
आज सुबह शहर के गणमान्य नागरिकों ने देवी अहिल्या बाई की प्रतिमा पर मालयर्पण किया। इस अवसर पर इन्द्रेश्वर महादेव मंदिर पर रूद्राभिषेक भी सम्पन्न हुआ। महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने ताई को 5 लाख रूपए की अनुदान राशि भी सौंपी।