इन्दौर । आज ‘नहाय-खाय’ के साथ चार दिवसीय छठ महापर्व पुरे देश के साथ मालवांचल में भी आरंभ हो गया। छठ व्रतधारियों ने इस अवसर पर पूर्ण धार्मिक पवित्रता एवं निष्ठा के साथ अपने- अपने घरों की सफाई कर, स्नान किया। तत्पश्चात पूर्ण पवित्रता के साथ घर में बने शुद्ध शाकाहारी कद्दू, चने की दाल, भात एवं अन्य शाकाहारी पदार्थों से बना भोजन ग्रहण किया। पहले दिन की पूजा के बाद से ही व्रतियों द्वारा नमक का त्याग कर दिया जाता है।
:: नहाए खाय का महत्व ::
छठ पूजा का पहला दिन नहाए खाए होता है. नहाए खाय का अर्थ है स्नान करके भोजन करना. इस दिन कुछ विशेष रीति रिवाजों का पालन करना होता है। इस परंपरा में व्रती नदी या तालाब में स्नान कर कच्चे चावल का भात, चना दाल और कद्दू (लौकी या घीया) प्रसाद के रूप में बनाकर ग्रहण करती हैं। मूल रूप से नहाए खाए का संबंध शुद्धता से है। इसमें व्रती खुद को सात्विक और पवित्र कर छठ व्रत की शुरुआत करती हैं।
:: नहाय खाय में छठ व्रतियों द्वारा क्यों खाया जाता है कद्दू-भात?
कद्दू की सब्जी को पूरी तरह से सात्विक माना जाता है। इसलिए यही खाकर छठ पूजा व्रत की शुरुआत की जाती है। माना जाता है कि इसे खाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है। सेहत के लिहाज से कद्दू आसानी से पचने वाली सब्जी है। यही वजह है कि छठ व्रती आज कद्दू का सेवन करते हैं।
छठ पर्व के दूसरे दिन शनिवार (29 अक्टूबर ) को खरना मनाया जाएगा। इस दिन व्रती दिन भर व्रत रखकर शाम को मिट्टी के बने चूल्हे पर शाम को गन्ने के रस में बने हुए चावल की खीर के साथ दूध, चावल का पिठ्ठा और घी चुपड़ी रोटी का प्रसाद भगवान सूर्य को भोग लगाएंगे और फिर इस प्रसाद को ग्रहण करेंगे। तत्पश्चात शुरू होगा उनका 36 घंटे के निर्जला उपवास।
छठ पर्व के तीसरे दिन 30 अक्टूबर (रविवार ) को अस्ताचलगमी सूर्य को व्रतधारियों द्वारा जलकुण्ड में खड़े रह कर अर्घ्य दिया जाएगा तथा छठ महापर्व का समापन 1 नवंबर (सोमवार) को व्रतियों द्वारा उगते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य देने के पश्चात होगा। प्रसाद के रूप में सूर्य भगवान् को विशेष प्रकार का पकवान ‘ठेकुवा’ और मौसमी फल चढ़ाए जाते हैं तथा उन्हें दूध एवं जल से अर्घ्य दिया जाता है।
कोरोना महामारी के सभी प्रतिबंधों से मुक्त होने के पश्चात इस वर्ष शहर के पूर्वोत्तर समाज के लोगों में छठ महापर्व का उत्साह एक बार फिर चरम पर है. समाजजन उसी श्रद्धा एवं उत्साह के साथ छठ महापर्व की तैयारियों में लगे हैं। विजय नगर, बाणगंगा, वक्रतुण्ड नगर, निपानिया, सिलिकॉन सिटी, श्याम नगर, देवास नाका, स्कीम न. 78 सहित शहर के लगभग 125 छठ घाटों की साफ़ सफाई लगभग पूर्ण हो चुकी है।