चंडीगढ़ । पंजाब के अमृतसर से 145 किमी पश्चिम-उत्तर पश्चिम में आज तड़के करीब 3.42 बजे 4.1 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक भूकंप की गहराई जमीन से 120 किमी नीचे थी। गौरतलब है कि उत्तर भारत में बीच कुछ दिनों में कई बार धरती डोली है। पिछले सप्ताह दिल्ली में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। दिल्ली को भूकंप के लिहाज से संवेदनशील माना जाता है। दो दिन पहले भी पंजाब के कई इलाकों में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।
गत 12 नवंबर की रात 8 से 8:15 के बीच भी तकरीबन 30 से लेकर 40 सेकंड तक कंपन महसूस किया गया। चंडीगढ़ और पंजाब के अलावा पूरे दिल्ली एनसीआर में भी भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5।4 मापी गई थी। इसी दिन सुबह ऋषिकेश (उत्तराखंड) में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार 12 नवंबर की शाम करीब 7:57 बजे नेपाल में 5.4 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसका केंद्र जमीन से 10 किमी नीचे था। भूगर्भ विज्ञानियों का कहना है कि हिमालयी क्षेत्र में टेक्टॉनिक प्लेटों के अस्थिर होने के कारण अधिक तीव्रता वाले भूकंपों की स्थितियां उत्पन्न हुई हैं। टेक्टॉनिक प्लेट्स पृथ्वी के गर्भ में मौजूद लावा पर तैरता है। एक प्लेट जब दूसरे के संपर्क में आती हैं तो भूकंप के झटके लगते हैं। भारतीय प्लेट पर यूरेशियन प्लेट के लगातार दबाव के कारण इसके नीचे जमा होने वाली ऊर्जा समय-समय पर भूकंप के रूप में बाहर निकलती रहती है। बीते करीब 100 वर्षों के दौरान हिमालयी क्षेत्र में 4 बड़े भूकंप आ चुके हैं। इनमें 1897 में शिलॉन्ग, 1905 में कांगड़ा, 1934 में बिहार-नेपाल और 1950 में असम में आए भूकंप शामिल हैं। उसके बाद 1991 में उत्तरकाशी, 1999 में चमोली और 2015 में नेपाल में भी भयानक भूकंप आया था। भारत के अलग-अलग इलाकों में गत 1 सप्ताह के दौरान भूकंप के 4 से 5 झटके आ चुके हैं।