खिवनी वन्यजीव अभ्यारण पहुचे सर्दियों के प्रवासी पक्षी, स्थानीय पक्षी भी यहाँ अच्छी संख्या में मौजूद हैं  |

इंदौर (शारिक खान )|

इंदौर और भोपाल से लगभग 130 किलोमीटर की दूरी पर स्तिथ देवास ज़िले के खिवनी वन्यजीव अभ्यारण में इन दिनों सर्दियों के मौसम में प्रवास पर आने वाले आकर्षक पक्षी दिखाई दे रहे हैं | जनसामन्य में यह धारणा है की प्रवासी पक्षी केवल तालाबों पर ही दिखाई देते हैं पर वास्तव में अनेक प्रजातियों के छोटे बड़े पक्षी घांस के मैदानों में, जंगलों में , झाड़ीदार वन क्षेत्रों में भी प्रवास पर आते है जिनमे से कुछ बहुत ही आकर्षक और रंगबिरंगे भी होते हैं | खिवनी वन्यजीव अभ्यारण प्रवासी और स्थानीय पक्षियों को इसी प्रकार का मिलाजुला पर्यावास उपलब्ध करवा रहा है जिसमे बलूचिस्तान और हिमालय से आने वाले कॉमन रोज़फिंच , अल्ट्रामरीन फ्लाईकेचर, ब्लू रॉकचेट, टायगा  फ्लाईकेचर , ब्लैक रेड स्टार्ट,  ब्लू  थ्रोट, लैसर व्हाइट थ्रोट, सल्फर-बेलीड वार्बलर, साइबेरियन स्टोनचेट,  ग्रे वैगटेल,   व्हाइट  वैगटेल, रेड-हेडेड बंटिंग, कॉमन केस्ट्रल,  ट्री पिपिट  प्रमुख हैं | प्रवासी पक्षियों के अतिरिक्त स्थानीय पक्षी भी यहाँ देखे जा सकते हैं जिनमे क्रेस्टेड सरपेंट ईगल, बोनेलीज़ ईगल, व्हाइट-आइड बजर्ड,  स्टॉर्क-बिल्ड किंगफ़िशर, कॉमन किंगफ़िशर , व्हाइट-थ्रोटेड किंगफ़िशर,  यलो-फ़ूटेड ग्रीन पीजन, शिकरा, बया वीवर, इंडियन रोलर, कॉमन हूपु, प्लम-हेडेड पेराकीट, रोज़ रिंग्ड पेराकीट, ब्राउन कैप्ड पिग्मी वुडपेकर, लेसर गोल्डन-बेक्ड वुडपेकर, स्पॉटेड डव, ब्लैक विंग्ड काइट प्रमुख हैं | यह सभी पक्षी अभ्यारण के घांस के मैदान, बालगंगा नदी और रेस्ट हॉउस एवं तालाब के आसपास दिखाई दे रहे हैं | पक्षियों के अतिरिक्त यहाँ जगंल केट (जंगली बिल्ली ), स्पॉटेड डियर (चीतल) भी दिख जाते हैं |  खिवनी वन्यजीव अभ्यारण  विंध्यांचल पर्वत क्षृंखलाओं में लगभग 153 वर्गकिलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ जो की रातापानी अभ्यारण (अब टाइगर रिज़र्व) के बाघों के लिए बफर का कार्य तो करता ही है साथ ही वर्षों से कागज़ो में लंबित अतिमहत्वपूर्ण ओंकारेश्वर राष्ट्रीय उद्यान एवं प्रस्तावित देवी अहिल्या वन्यजीव अभ्यारण के लिए भी टाइगर कॉरिडोर उपलब्ध करवा रहा है | यह कॉरिडोर सतवास, कन्नोद , बागली, पुंजापुरा, बड़वाह , उदयनगर, नाहरझाबुआ, चोरल , महू , मानपुर तक  के वन क्षेत्रों तक फैला हुआ है  जहां समय समय  बाघों की उपस्तिथि प्रमाणित होती रही है |