दिसंबर की सर्द सुबह…!

धूप के साए में सकुन पल…! सुबह-सुबह हर कोई दूध से अपने को लालायित रहता है …!

छाया – ऋतुराज बुड़ावनवाला, खाचरौद (उज्जैन)