नया वर्ष में नया क्या होगा

वर्ष बदल गया है,

क्या तुम खुद को बदल पाए हो,

क्या तुम्हारी ओछी सोच बदली है,

क्या आंकड़े कम होंगे रेप के,

क्या मामले कम होंगे दहेज़ के,

नया वर्ष आया है, वाकई बहुत सी

खुशियां भी अपने साथ लाएगा,

पर उनकी खुशियों का क्या

बीते वर्ष में जिनका आबरू

नही बच पाया है।

उनके जले उस चेहरे का  क्या

जो आने वाला कई नया

वर्ष नही बदल पायेगा।

क्या इस वर्ष नन्हीं कलियों को

खिलने और बेधड़क जीने दोगे तुम।

नया वर्ष आया है क्या इस वर्ष अपने

बूढ़े माँ-बापु को बृद्धाश्रम से

घर की दहलीज पे लाओगे,

सुनो आज तुम अपने पाओ पे खड़े हो

तो सिर्फ उनकी बदौलत,

क्या उनके तुम अपने

कंधों का सहारा दे पाओगे।

एक नया वर्ष आया है,

क्या एक नया समाज भी आएगा,

क्या हम शोशल मीडिया पे

जाती धर्म के नारे को छोड़ कर

समाज में हो रहे शोषण से

खुद को मुक्त करा पाओगें,

वाकई नया वर्ष आया है..,

ढेर सारी खुशियाँ भी लाया है।

क्या बाहरी दुनिया के दिखाबे से

दूर कर खुद को,अपने परिजनों को

दो पल की खुशी दे पाओगे,

हर वर्ष जो संकल्प लेते हो

बुराई छोड़ने का क्या इस वर्ष भी

तुम चूक जाओगे।

क्या है हमारा तुम्हारा कर्तव्य

इस मानव शरीर मे

क्या उसको इस वर्ष हम-तुम

उजागर कर पाएंगे…..!!

— लवली आनंद

मुजफ्फरपुर, बिहार