एक बगीचे में एक मुर्गा आराम से था खेल रहा
देखा एक इंद्रधनुषी मोती जमीन पर छिपा हुआ
वह जल्दी उस पर झपटा, लेकर सिर पर लगाया
चमकदार वस्तु काम का नहीं, उसे समझ में आया
उसने चमकदार मोती को जल्दी से बाहर फेंक दिया
“मैं एक चमकदार, कीमती मोती” मोती ने गर्व से कहा
संयोग से मैं एक अद्भुत तथा अमूल्य हार से गिर गया
नसीब खराब होने से इस सुनसान बगीचे में आ गया।
मेरे जैसे आकर्षक तथा चमकदार मोती सर्वत्र नहीं होते।
केवल संयोग से ही किसी किसी को जीवन में मिलते
लेकिन मुर्गे ने मोती के गर्व की आवाज में दिया उत्तर
मेरे लिए तुम्हारी कीमत चावल के एक दाने से कमतर
सच है चीज की क़ीमत उसके उपभोक्ता से होती तय
प्यासे के लिए जल है अमूल्य इसमें नहीं है कोई संशय
आनंद मोहन मिश्र
अरुणाचल प्रदेश
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