ब्रेकिंग न्यूज़ बनती जा रही है। न्यूज़ टीवी स्क्रीन पर छा रही है। टीवी की स्क्रीन फोड़कर एंकरी बाई बाहर निकल आई है। गला खोलकर, कंठ नली तोड़कर राजधानी में शहद चटाई के कार्यक्रम का बवंडर मचा रही है। न्यूज़ देवी के इस तांडव से रजाई में दुबके बच्चे दहशत में है। बीवी तक डर गई है। राजधानी की सड़कों पर शहद बेचने वालों का डेरा लगा हुआ है। गांधी मार्ग, अंबेडकर पथ से लेकर विवेकानंद मार्ग की तरफ शहद बेचने का पूरा मार्केट सजा है। किसे शहद बेचना है? किसके कितना शहद लगाना है? किसे कितना शहद चटाना है? किसकी कोहनी पर शहद मलना है? सब कुछ नियमानुसार है। व्यापारी मधुमक्खी का छत्ता हाथ में लिए हुए असली शहद बेचने का ढिंढ़ोरा पीट रहे हैं। बाकायदा कुछ जिंदा मधुमक्खियों को हाथों से सहला रहे हैं। कुछ जिंदा मधुमक्खियों को मसल भी रहे हैं। बिल्कुल डर नहीं रहे हैं। चाहे कितनी ही मोमबत्तियां जलाएं! कितने ही मोबाइल टॉर्चों की रोशनी जगमगाएं! चाहे कितनी ही फांसी की मांग करें! लेकिन ये मानते ही नहीं। मधुमक्खियों को मसलने का काम बेफिक्री से कर रहे हैं! कुछ मरी मधुमक्खियां भी उनके शहद का हिस्सा बनी हुई है। शहद कारोबारी मधुमक्खियों को मारते भी हैं और उनका शहद भी नहीं छोड़ते! सड़कों पर पसरे पड़े हैं यही जंतु!
नकली माल को असली पैकिंग कैसे करना है? ये इन सबको आता है। राजधानी में नकली और असली बनाने का कारोबार हर दिशा में फैला हुआ है। असली है कि फसली है! फसली है कि नकली है! कुछ कहा नहीं जा सकता। फिर शहद के मामले में तो कुछ भी नहीं कहा जा सकता। एक से एक नेता, मंत्री, दलाल, ठेकेदार और अफसर एक दूसरे पर शहद लगाने के लिए गांधी मार्ग पर लगातार चक्कर काट रहे हैं। अंबेडकर पथ पर अपने ग्राहकों का इंतजार कर रहे हैं। विवेकानंद मार्ग पर शहद चटाने के लिए चमचे तैयार खड़े हैं। चमचे भी चाहिए शहद चटाने के इस राष्ट्रीय कार्यक्रम में! चमचे बहुत जरूरी है। ये सब चतुराई राजधानी के शहद कारोबार का मुख्य हिस्सा है। इधर मेरी बीवी भी शहद लेने की फिराक में है। टीवी न्यूज़ माता ने इसे सिखा दिया है। शहद ले रही है बीवी! कुत्तों को ढूंढ़ा जा रहा है, चटाने के लिए। मक्खियों को की तरफ आशा भरी नजरों से देख रही है कि कोई मक्खी आए, शहद पर बैठे और उड़ जाए। कुत्ता भी आए और शहद को नहीं चाटे। शहद चटाई और तलवा चटाई में समान गुणधर्म है। चटाई शास्त्रों में कहा गया है कि वही शहद असली होता है, जिसे कोई कुत्ता नहीं चाटे। जिस शहद पर कोई मक्खी बैठे और उड़ जाए! कमबख्त शहद का ऐसा खटका मैंने कहीं नहीं सुना! कुत्ते तक शहद चाटना छोड़ दे। असली शहद कुत्तों को हजम नहीं होता है। ये बात समझ में नहीं आती है। तलवा चाटने में माहिर कुत्ते राजधानियों के मार चक्कर काट रहे हैं। राजधानियों में जितने भी कुत्ते हैं, वे असली शहद को ऐसा चकाचक चाटते हैं कि मधुमक्खियां तक शरमा जाए। मक्खियां भी शहद पर उड़-उड़कर जाए। सच! शहद वही जो कुत्तों के मन भाए!
— रामविलास जांगिड़ (मो 94136 01939)
,18, उत्तम नगर, घूघरा, अजमेर (305023) राजस्थान