जीवन सफर है कितना, लगता है सबको प्यारा।
अंतिम समय का जीवन ,होता है सबसे न्यारा ।।
जीवन सफर है कितना……..
संग साथ जाने वाले , वहां देख कर जो आते ।
आकर के घर वो अपने ,सब भूल क्यों है जाते ।।
ये जानता है सब कुछ ,यहां छोड़ कर के जाना ।
मोह जाल में फंसा सब , कैसे निजात पाना ।।
सच ही तुम्हारा साथी, प्रभु का मिले सहारा ।
अंतिम समय का जीवन ,होता है सबसे न्यारा।।
जीवन सफर है कितना…………
मरघट है ज्ञान सागर ,आतम का ज्ञानदाता ।
इस लोक में धरा पर , जग झूठ सब है नाता।।
सत्कर्म धर्म ऊचा , ग्रंथों में लेख जाना ।
आचार्य संतवाणी , ह्रदय से जिसने माना ।।
मां बाप की ही आज्ञा , पालन धर्म हमारा ।
अंतिम समय का जीवन ,होता है सबसे न्यारा ।।
जीवन सफर है कितना………..
करना हमे वो क्या है , अब सोच प्यारे मन में ।
संयम नियम बनाकर ,पालन हो तन से मन में ।।
दुर्लभ गति है प्यारे , मानव जन्म को पाना ।
जीवन मरण जहां में ,यह खेल है पुराना ।।
सत्कर्म से ही मिलती,मानव गति दोवारा ।
अंतिम समय का जीवन ,होता है सबसे न्यारा ।।
जीवन सफर है कितना………….
जीना न सीख पाया , मरना ही सीख प्यारे ।
इतिहास रच दिखाओ ,हो कर्म शुभ हमारे।।
छोटा बड़ा न कोई , हमें जीव को समझना ।
हर जीव पर दया हो ,समता का भाव रखना ।।
मनोबल बढ़ा है बादल ,यही लक्ष्य हो हमारा ।
अंतिम समय का जीवन, होता है सबसे न्यारा ।।
जीवन सफर है कितना…………
कवि किशोरीलाल जैन बादल
भिंड मध्य प्रदेश