आजकल एक फैशन चला है, कुछ खास दिवस मनाने का। कुछ तारीखों में बाँट दिए है एहसासों को। हम इंसान मौजूदा दौर की भागदौड़ी से भरी व्यस्त ज़िंदगी में से कुछ पल चुराकर अपनों के प्रति प्यार और अपनापन जताना भूलते जा रहे है, उसमें ये खास दिन हमें याद दिलाते है कि हमारे अपना भी कोई है। और हम उन खास दिनों पर अपनों के प्रति सौहार्द भाव जताकर खुशियाँ मनाते है, तो क्या गलत है? पर इन मातृदिवस, पिता दिवस, मित्रता दिवस या फिर वैलेन्टाइन दिवस या बहुत सारे खास दिवस मनाने पर कई सारे लोगों को ऐतराज़ होता है। उनको ये सब पाश्चात्य संस्कृति या चोंचले लगते है। और कई लोगों का मानना होता है कि एक दिवस काफ़ी नहीं होता, माता-पिता या किसीके भी लिए यूँ शब्दों के ज़रिए, कार्ड देकर या पोस्ट डालकर जता देना। क्यूँकि उनका अहसान या ऋण एक दिन प्यार जता कर और संवेदना जता कर नहीं उतार सकते।
कई सारे लोगों को वेलेंटाइन डे मनाने पर भी ऐतराज़ होता है, क्यूँ भई क्या गलत है इसमें। आशिक महबूब के प्रति या पति-पत्नी एक दूसरे के प्रति अगर उस दिन अपनी चाहत का इज़हार करते है तो इसमें बुराई क्या है? क्या हम हर रोज़ दिन में पचास बार बोलते है आई लव यू? इस एक दिन भावों को प्रदर्शित करना बंधन को और मजबूत बनाता है। या जो हम प्रेक्टिकली कर नहीं सकते, या कह नहीं सकते उसे लिखकर, फूल देकर या चॉकलेट देकर जता लेते है तो ये एक दिन तो बहुत ही खास होना चाहिए न।
मानां कि जिसने आपको पूरी उम्र दी हो उनके लिए एक दिन दिखावा करना काफ़ी नहीं होता। पर ये सारे दिन भले पाश्चात्य संस्कृति की देन हो पर सच कहे तो ये परंपरा बहुत सुंदर और समझने वाली है।
हमारे अपनें हमारे लिए ताउम्र कितना कुछ करते है, क्या हम हर रोज़ बात-बात पर उनको थैंक्स या धन्यवाद बोलते है? या बात-बात पर बहुत अच्छा किया जो आपने मेरे लिए ये किया, नहीं ना? तो ये सारे खास दिन अपनों के प्रति अहोभाव या कृतघ्नता जताने के दिवस होते है। इन खास दिनों पर माँ-बाप और किसीके भी प्रति हम आदर और भावना व्यक्त करते उन्हें स्पेशल फ़ील करवाके ये जता रहे होते है कि उनका हमारी ज़िंदगी में क्या और कितना महत्व है। या हमारी नज़रों में उनके कार्यों की कितनी अहमियत है। भले हम हर रोज़ नहीं जताते पर आप है तो मैं हूँ, या आपने मेरे लिए जो किया या करते हो उसका मुझे बखूबी ज्ञात है, और उन सारे अहसानों का ऋण मैं भले चुका न पाऊँ पर शब्दों के ज़रिए, कार्ड देकर या पोस्ट ड़ालकर अपनी भावनाओं द्वारा आपके प्रति अपना ऋण अदा करता या करती हूँ। सच मानिये सामने वाले को बहुत अच्छा लगता है। लगता है कि उनका अपनों के लिए कुछ करना सार्थक रहा। हर किसीको जब अपने काम की कद्र होती है तब गर्व महसूस होता है। तो बस ये सारे खास दिवस जन्मदिन, लग्नदिन या ऐसे किसी भी खास दिन की तरह ही अपनों के प्रति कृतघ्नता जताने के लिए होते है। इन दिनों को जश्न की तरह मनाना चाहिए ये सारे दिन है तो जीवन में खुशियाँ है। यही सारे दिन अपनेपन और परिवार का महत्व समझाते है।
तो इस वैलेन्टाइन डे पर किसीको भी अपना वैलेन्टाइन बनाकर मन में छुपे भावों की गठरी खोल दीजिए और जमकर मनाईये वैलेन्टाइन डे। प्यार जताना ज़िंदगी में ज़ायके का तड़का लगा देता है। सच मानिए प्यार की नींव पर ही ज़िंदगी थमी है।
भावना ठाकर ‘भावु’ बेंगलोर