बैंगलुरु । कर्नाटक के बाजार में गुजरात स्थित अमूल डेयरी के दूध और दही ब्रांड के साथ प्रवेश की 5 अप्रैल को हुई घोषणा के बाद विपक्ष को सत्तारूढ़ भाजपा पर निशाना साधने के लिए एक और हथियार मिल गया है। अमूल बनाम नंदिनी की लड़ाई अभी शांत नहीं हुई, तब तक गुजराती मिर्ची को लेकर कर्नाटक में विवाद शुरू होने लगा है। अमूल के बैंगलुरु के बाजार में प्रस्तावित प्रवेश ने इतनी राजनीतिक गर्मी पैदा की है कि अब गुजराती मिर्च का मुद्दा उठने लगा है। गुजराती किस्म की इस मिर्च को पुष्पा कहा जाता है। यह मिर्च लाली के नाम से भी प्रचलित है। सूत्रों के मुताबिक हाल के महीनों में एशिया के सबसे बड़े मिर्च मार्केट ब्यादगी बाजार में कम से कम 20 हजार क्विंटल गुजराती मिर्च बेची गई है।
हालांकि पुष्पा स्थानीय डब्बी और कद्दी किस्मों की प्रतिस्पर्धी नहीं है, लेकिन गुजरात किस्म के मिर्च की एक बड़ी मात्रा स्थानीय बाजार में पहुंच गई है। पुष्पा मिर्च स्थानीय किस्मों की तुलना में अधिक लाल दिखती है, हालांकि वे अपने लाल रंग को बहुत लंबे समय तक बरकरार नहीं रखती है। ब्यादगी बाजार के सूत्रों ने बताया कि कम से कम 70 मिर्च विक्रेताओं ने बाजार के पास अलग-अलग कोल्ड स्टोरेज में गुजरात मिर्च की कुछ मात्रा जमा कर रखी है।
एपीएमसी, ब्यादगी के अतिरिक्त निदेशक और सचिव एचवाई सतीश ने बताया कि इस सीजन में गुजरात मिर्च की आपूर्ति लगातार बढ़ रही है। एपीएमसी अधिनियम में संशोधन के बाद खरीदार देश में कहीं से भी कृषि उपज खरीद सकते हैं और इसके लिए बाजार समिति से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। ऐसे में एपीएमसी को आपूर्ति सीमित करना मुश्किल होगा। इसके अलावा पुष्पा को ब्यादगी मिर्च बाजार के लिए खतरे के रूप में नहीं देखा जा सकता है, क्योंकि डब्बी और कद्दी किस्मों की अपनी प्रतिष्ठा है। रानीबेन्नु तालुक के एक किसान रमन्ना सुदांबी ने अपील की कि डब्बी और कड्डी किस्मों पर निर्मित ब्यादगी मिर्च बाजार ने अपनी अलग पहचान विकसित की है। अलग-अलग देश और कंपनियां सालों से ब्यादगी मिर्च पर निर्भर हैं। इसलिए सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इन स्थानीय मिर्चों की प्रतिष्ठा खतरे में न पड़े।