:: गीता भवन ट्रस्ट की पहल पर शहर के ट्रस्ट पदाधिकारियों की कार्यशाला – सीए की टीम ने किया मार्गदर्शन ::
:: जिला कलेक्टर इलैया राजा टी. ने भी विश्वास दिलाया – परेशानियां दूर करेंगे, ट्रस्टों का संगठन बनाने की पहल ::
इन्दौर। शहर में लगभग 1300 ऐसे सार्वजनिक ट्रस्ट (न्यास) कार्यरत हैं, जिनके माध्यम से शहर में शैक्षणिक, धार्मिक, पारमार्थिक एवं सामाजिक –सांस्कृतिक गतिविधयां चल रही हैं। हाल ही में केन्द्र सरकार द्वारा इन ट्रस्टों के संदर्भ में आयकर, ऑडिट एवं रजिस्ट्रेशन सहित विभिन्न प्रावधानों में बहुत से बदलाव कर दिए गए हैं। इसका असर उन सभी गतिविधियों पर भी पड़ रहा है, जो अब तक इन ट्रस्टों के माध्यम से संचालित होती आ रही हैं। हाल ही गीता भवन में आयोजित एक कार्यशाला में इन सभी मुद्दों पर खुलकर चर्चा की गई और निष्कर्ष यह सामने आया कि सभी ट्रस्टों के पदाधिकारियों को एकजुट होकर अथवा एक संगठन बनाकर एक प्लेटफार्म से अपनी आवाज संबंधित अधिकारियों तक पहुंचाने की जरूरत है।
गीता भवन में आयोजित इस कार्यशाला में जिला कलेक्टर इलैया राजा टी. और वैष्णव ट्रस्ट के चेयरमैन पुरुषोत्तम पसारी अतिथि के रूप में शामिल हुए। शहर के चार वरिष्ठ सनदी लेखापाल (सीए) पी.डी. नागर, अशोक ऐरन, भगवान अग्रवाल एवं एस.एन.गोयल को भी इस कार्यशाला में आमंत्रित किया गया था, जिन्होंने ट्रस्ट से जुड़े विभिन्न प्रावधानों जैसे – दान पत्र, मृत्यु के समय ट्रस्ट को दान की गई संपत्ति और ट्रस्ट के घोषणा पत्र, लीज डीड आदि की जानकारी देते समय बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में विस्तार से जानकारियां दीं। कार्यशाला में शहर के लगभग 50 ट्रस्टों के प्रतिनिधि एवं पदाधिकारी उपस्थित थे। प्रारंभ में गीता भवन ट्रस्ट के अध्यक्ष राम ऐरन, मंत्री रामविलास राठी, मनोहर बाहेती, दिनेश मित्तल, टीकमचंद गर्ग, हरीश माहेश्वरी एवं अन्य पदाधिकारियों ने सभी अतिथियों एवं वक्ताओं का स्वागत किया। संचालन किया मनोहर बाहेती ने। आभार माना अध्यक्ष राम ऐरन ने। इस अवसर पर गीता भवन अस्पताल के कायाकल्प हेतु 7 करोड़ रुपए का आर्थिक सहयोग प्रदान करने वाले टीकमचंद गर्ग का सम्मान भी किया गया।
जिला कलेक्टर इलैया राजा टी. ने कहा कि ट्रस्ट के नियमों में कई ऐसे बदलाव भी किए गए हैं, जिनकी जानकारी अभी संबंधित अधिकारियों को भी नहीं लग पाई है। शहर में ट्रस्टों की गतिविधियां बहुत अच्छे से चल रही हैं और आप लोगों का लक्ष्य भी अच्छा है अतः इन बदलावों को हमें गंभीरता से समझना होगा। जब कभी भी पुराने प्रावधानों में बदलाव होता है तो प्रारंभ में दिक्कतें आती ही हैं, लेकिन धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य हो जाता है। यह संभव है कि कुछ ट्रस्ट इन प्रावधानों का गलत लाभ उठा रहे होंगे, लेकिन यहां बैठे लोग ऐसे अच्छे ट्रस्टों से जुड़े हुए हैं, जो एक अच्छे संकल्प के साथ काम करना पसंद करते हैं। यदि आप लोगों को किसी भी तरह की परेशानी आए तो आप मुझसे संपर्क कर सकते हैं। आप अपने ट्रस्ट के माध्यम से सेवा के कार्य करते रहे।
वैष्णव ट्रस्ट के चेयरमैन एवं कार्यशाला के अतिथि पुरुषोत्तम पसारी ने कहा कि शहर में लगभग 1300 सार्वजनिक ट्रस्ट कार्यरत हैं। बीच में कई बार इन ट्रस्टों की गतिविधियों को नियमित करने हेतु पहल भी हुई थी। मुश्किल यह है कि हम सभी ट्रस्ट संचालकों या पदाधिकारियों का कोई ऐसा संगठन नहीं है, जो अपनी बात को संबंधित अधिकारियों तक पुरजोर तरीके से पहुंचा सके। इसके अभाव में अभी तक ट्रस्ट से जुड़ी समस्याएं यथावत बनी हुई हैं। गीता भवन ट्रस्ट ने यह पहल करते हुए एक अच्छे मुद्दे की ओर शहर के ट्रस्ट संचालकों एवं अन्य अधिकारियों को आमंत्रित कर उनका ध्यानाकर्षण किया है। समाजसेवी अनिल भंडारी ने भी शहर के ट्रस्टों की असुविधाओं से सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि मानव सेवा की दिशा में पूरे देश और प्रदेश में इन्दौर के ट्रस्टों की अपनी ख्याति बनी हुई है। इन नए प्रावधानों से जो परेशानियां आ रही हैं, उनका हमें संगठित होकर समाधान खोजने का प्रयास करना होगा। कार्यशाला में विभिन्न ट्रस्टों एवं सार्वजनिक संस्थाओं के प्रतिनिधि बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
उमेश/पीएम/12 मई 2023
संलग्न चित्र –
इन्दौर। गीता भवन ट्रस्ट द्वारा आयोजित कार्यशाला का दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारंभ करते जिला कलेक्टर इलैया राजा टी. एवं वैष्णव ट्रस्ट के अध्यक्ष पुरुषोत्तम पसारी एवं अन्य।