विध्वंस से 

हमने देखी महाभारत की गोद में

प्यार की एक बूँद  

 पनपता एक नवयुग शिशु 

 परीक्षित |

 हिरोशिमा की राख से अंकुरित होता   

 नया जापान |

  होलिका की गोद से जन्म लेता 

  रंग और गुलाल में लिपटा हुआ 

   प्रहलाद |

  रात ने जला डाला सब कुछ किन्तु 

  एक चिंगारी बची रह गई

  फिर रंगीन करने को 

   सुबह |    

   फूलों पत्तियों से 

   कसम खा कर गया है 

  लौट कर ज़रूर आऐगा  

     बसंत |

  एक तिनका रह गया था 

   बया की चोंच में 

   सुबह हर डाल पर लटके 

   हुए थे घोंसले अनगिन 

   ज़िन्दगी की चहचहाट से 

   गूंजता मौसम 

   दिशाएं कह रहीं हैं कल 

 रश्मि रथ पर आएगा 

 मंगल कलश।।।।

श्री शिवनारायण  जौहरी विमल

सेवानिवृत्त  विधि सचिव 

स्वतंत्रता  सेनानी 

24/डी के देवस्थान

बाबडिया कला रोड

दाना पानी रेस्टोरेंट  के पास 

भोपाल  मध्यप्रदेश