मध्य प्रदेश के 2 जिलों में स्किल सेल के 30,000 मरीज

भोपाल । भारत में 6 वर्ष के बच्चे से लेकर 40 साल तक के हर आदिवासी युवक-युवती की जांच की जा रही है। आदिवासियों के बीच में सिकलसेल एनीमिया के रोगियों की संख्या सबसे ज्यादा है। भारत के 17 राज्यों में आदिवासी आबादी है। इसमें मध्य प्रदेश के 20 जिले आते हैं।
मध्यप्रदेश में पायलट प्रोजेक्ट के तहत अलीराजपुर और झाबुआ में 9:45 लाख बच्चों और गर्भवती माताओं की टेस्टिंग की गई है। जिसमें लगभग 30,000 सिकल सेल के रोगी पाए गए हैं।
सिकलसेल एनीमिया अनुवांशिक बीमारी है। यह बीमारी माता-पिता से बच्चों को ट्रांसफर होती है। खून की कमी और कमजोरी के कारण 40 से 45 वर्ष की उम्र में व्यक्ति की मौत हो जाती है। वहीं बच्चों की मौत भी इसी बीमारी के कारण आदिवासियों में सबसे ज्यादा होती है।
19 जून को विश्व सिकलसेल जागरूकता दिवस घोषित किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 जून को शहडोल में सिकलसेल एनीमिया उन्मूलन मिशन 2047 लांच करेंगे। इस अभियान के शुरू होने के बाद 6 माह के बच्चे से लेकर 40 साल तक के हर आदिवासी पुरुष और महिला का परीक्षण किया जाएगा। उनके इलाज की समुचित व्यवस्था की जाएगी। वंशानुगत बीमारी होने के कारण इसे एक अभियान के रूप में चलाकर आदिवासियों को इस बीमारी से मुक्ति दिलाने का अभियान चलाया जा रहा है।