इन्दौर। जी-20 देशों ने मिलकर श्रम और रोजगार की स्थिति बेहतर बनाने के लिए दस्तावेज तैयार किया है। इसमें विभिन्न देशों के बीच तीन बिंदुओं पर स्वीकार्यता बनी है। इन बिंदुओं के अनुसार, श्रमिकों और कर्मचारियों की बेहतरी के लिए स्किल गैप को भरना जरूरी है। रोजगार के साथ सामाजिक सुरक्षा को भी उतना ही महत्व दिया जाएगा। इसके अलावा रोजगार के लिए टिकाऊ वित्तपोषण की योजनाएं बनानी होंगी।
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में जी-20 देशों के श्रम एवं रोजगार मंत्रियों की शुक्रवार को हुई बैठक में इस दस्तावेज को सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया। बैठक में यह सुझाव भी आया कि एक देश के कौशल प्रमाण-पत्र को दूसरे देश में मान्य किया जाए। अब इस दस्तावेज को नई दिल्ली में जी-20 पर नेताओं की घोषणा में शामिल करने के लिए विचारार्थ प्रस्तुत किया जाएगा। सभी ने स्वीकार किया कि इस दस्तावेज से दुनिया भर के लोगों को लाभ होगा। इससे कौशल के अंतर को कम किया जा सकेगा।
साथ ही अलग-अलग देश अधिकतम विकास कर सकेंगे और कौशल साझा करने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही भारतीय जी-20 अध्यक्षता के तहत यह अग्रणी कदम दुनिया की दो तिहाई से अधिक आबादी के लिए अभूतपूर्व वैश्विक रोजगार के अवसरों के युग की शुरुआत करेगा। भारत के संदर्भ में देखें तो दस्तावेज को अपनाने और लागू करने से यहां के युवाओं के लिए दुनिया भर में लाभकारी रोजगार के द्वार खुलेंगे। इससे सतत, लचीला और समावेशी वैश्विक आर्थिक विकास होगा।
शुक्रवार को बैठक का आरंभ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिए गए एक वीडियो संदेश के साथ हुआ। सम्मेलन के समापन के बाद संवाददाताओं से चर्चा में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री यादव ने बताया कि भारत के जी-20 बैठक में सर्वमान्य ई-श्रम पोर्टल जैसे नवाचार को भारत अन्य देशों के साथ साझा करने के लिए तैयार है। ई-श्रम पोर्टल पर श्रमिकों के पंजीयन की विश्व स्तर पर सराहना हुई है। इन्दौर के सम्मेलन में विभिन्न देशों के 176 प्रतिनिधि, 26 मंत्री और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के 15 संगठन प्रमुख शामिल हुए।
सम्मेलन में आए प्रतिनिधि रात को 56 दुकान भी पहुंचे। यहां उन्होंनें विभिन्न व्यंजनों का स्वाद लिया और इन्दौर के खान-पान की तारीफ की। मेहमानों के लिए शनिवार सुबह राजवाड़ा क्षेत्र में हेरिटेज वाक और साइकिल राइड का आयोजन भी किया गया।