पटवारी भर्ती परीक्षा को लेकर हाई कोर्ट में प्रस्तुत याचिका खारिज

इन्दौर। पटवारी भर्ती परीक्षा घोटाले को लेकर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इन्दौर खण्डपीठ में लगी जनहित याचिका न्यायालय ने खारिज कर दी। न्यायालय ने याचिकाकर्ता पर 10 हजार रुपये हर्जाना भी लगाया है।
न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता ने न्यायालय का महत्वपूर्ण समय खराब किया है। याचिका दायर करने से पहले उन्हें इस संबंध में सरकार के समक्ष अभ्यावेदन देना था, लेकिन ऐसा नहीं करते हुए वे सीधे उच्च न्यायालय आ गए। यह उच्च न्यायालय नियमों के विरुद्ध है। याचिकाकर्ता ने यह भी नहीं बताया कि जो बातें वे याचिका में कह रहे हैं उनका स्रोत्र क्या है। सरकार पहले ही मामले में न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच के आदेश दे चुकी है। ऐसे में याचिका का कोई मतलब नहीं रह जाता।
उच्च न्यायालय में यह जनहित याचिका रघुनंदन सिंह परमार ने दायर की थी। इसमें कहा था कि कर्मचारी चयन मंडल ने पटवारी संयुक्त भर्ती परीक्षा में आयोजित की थी। इस परीक्षा का परिणाम घोषित होने के बाद से ही परीक्षा में गड़बड़ी के आरोप लग रहे थे। विवाद बढ़ने के बाद मुख्यमंत्री ने इस परीक्षा से होने वाली नियुक्तियों पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी। परीक्षा का परिणाम स्वयं गड़बड़ी की ओर इशारा कर रहा है। इससे स्पष्ट है कि दस टापर में से सात टापर ने ग्वालियर के एक ही कालेज से परीक्षा दी थी। कालेज भाजपा के भिंड विधायक का है।
याचिका में कहा है कि गड़बड़ी की बात सामने आने के बाद परीक्षा से होने वाली भर्तियों पर रोक लगा दी गई है। ऐसे में वे अभ्यर्थी जिन्होंने ईमानदारी से परीक्षा दी थी, वे खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। जिन ईमानदार अभ्यर्थियों का चयन हो गया है उनका भविष्य अंधकारमय हो गया है, क्योंकि परीक्षा के आधार पर होने वाली नियुक्तियों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है।
जांच के लिए बनी है कमेटी, इसलिए याचिका मतलब नहीं
शासन की ओर से पैरवी कर रहे अभ‍िभाषक विशाल सनोठिया ने न्यायालय के समक्ष तर्क रखे कि आशंका होने के बाद न सिर्फ परीक्षा परिणाम के आधार पर होने वाली नियुक्तियां रोकी गई हैं, बल्कि मामले की निष्पक्ष जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में कमेटी भी गठित कर दी गई है। याचिकाकर्ता ने सिर्फ समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों के आधार पर याचिका दायर की है। सभी पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, जो शुक्रवार को जारी हुआ। याचिकाकर्ता को न्यायालय द्वारा लगाए गए 10 हजार रुपये के जुर्माने की राशि 30 दिन में जमा कराना होगी।
उमेश/पीएम/21 जुलाई 2023