पीएम मोदी को लोकमान्य तिलक पुरस्कार ‎मिलने से सर्वोच्च नेतृत्व को ‎मिलेगी मान्यता

नई दिल्ली । सर्वोच्च नेतृत्व को मान्यता देने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महाराष्ट्र के पुणे में लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित हो रहे हैं। आयोजकों ने इस सम्मान को लेकर बताया कि यह पुरस्कार उनके सर्वोच्च नेतृत्व को मान्यता देता है जिसके तहत भारत प्रगति की सीढ़ियां चढ़ रहा है। इस पुरस्कार के बारे में बात करें तो यह पुरस्कार बहुत ही अहम है। जानकारी के अनुसार पीएम मोदी को मिलने जा रहे इस पुरस्कार की शुरुआत 1983 में तिलक स्मारक मंदिर ट्रस्ट द्वारा की गई थी। यह प्रतिष्ठित पुरस्कार ट्रस्ट द्वारा प्रतिवर्ष लोकमान्य तिलक की पुण्य तिथि के अवसर पर प्रदान किया जाता है। मालूम हो कि लोकमान्य तिलक 20वीं सदी की शुरुआत में भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रमुख व्यक्ति थे।
जानकारी के अनुसार बाल गंगाधर तिलक भारतीय स्वशासन (स्वराज्य) के प्रबल समर्थक थे और उन्होंने जनता को संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
ट्रस्ट का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके असाधारण नेतृत्व और नागरिकों के बीच देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों की मान्यता में इस पुरस्कार के 41वें प्राप्तकर्ता के रूप में चुना गया है, जिसमें एक स्मृति चिह्न और प्रशस्ति पत्र शामिल है। संस्था के अध्यक्ष लोकमान्य के पड़पोते (प्रपौत्र) दीपक तिलक हैं। तिलक परंपरागत रूप से कांग्रेस समर्थक रहे हैं। लोकमान्य को वह व्यक्ति माना जाता है जो कांग्रेस को जनता तक ले गए। दीपक तिलक के पिता जयंतराव तिलक, जिन्होंने हिंदू महासभा से शुरुआत की, 1950 के दशक में कांग्रेस में चले गए और राज्यसभा सांसद और महाराष्ट्र राज्य विधान परिषद के अध्यक्ष बने।
अब तक ‎‎जिन लोगों को यह पुरस्कार ‎मिल चुका है उनमें सभी नामी ह‎स्तियां शा‎मिल हैं, पीएम मोदी से पहले यह पुरस्कार पूर्व राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा और प्रणब मुखर्जी, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, इंदिरा गांधी और मनमोहन सिंह को भी दिया जा चुका है। इसके अलावा मशहूर व्यवसायी एन. आर. नारायणमूर्ति तथा ‘मेट्रो मैन’ ई. श्रीधरन को भी यह पुरस्कार दिया जा चुका है।