भारतीय सिनेमा ने बड़े पर्दे पर महिलाओं के किरदार में एक लंबा सफर तय किया है।
दमन (2001):
दुर्गा सैकिया के रूप में रवीना टंडन की भूमिका एक ऐसी महिला का किरदार है, जो अपनी परिस्थितियों के सामने झुकने से इनकार करती है। दुर्गा एक अपमानजनक विवाह में फंसी एक युवा महिला है और उसकी यात्रा उत्तरजीविता, संघर्ष और सशक्तिकरण की है। अपने करैक्टर के माध्यम से एक्ट्रेस ने दुर्गा की भावनात्मक परेशानियों को दर्शाया है।
ब्रह्मा जेनेन गोपोन कोमोती (2020):
ब्रह्मा जेनेन गोपोन कोमोती में एक्ट्रेस रिताभरी चक्रवर्ती का शबरी का किरदार समकालीन नारीवाद पर एक ताज़ा प्रस्तुति है। शबरी एक मॉडर्न युवा महिला है जो अपने समाज की सदियों पुरानी रीति-रिवाजों पर सवाल उठाती है, जो महिलाओं को वशीभूत करते हैं।
प्रोवोक्ड (2006):
सच्ची कहानी पर आधारित फ़िल्म प्रोवोक्ड में किरणजीत अहलूवालिया का किरदार ऐश्वर्या राय की एक ऐसी महिला का सशक्त किरदार था, जिसने प्रतिकूल परिस्थितियों में अपनी असली ताकत को अनुभव किया।
वॉटर (2005):
वॉटर में लीजा रे का कल्याणी का चित्रण स्वतंत्रता-पूर्व भारत में सामाजिक मानदंडों के खिलाफ एक विधवा के संघर्ष का एक मार्मिक चित्रण था। कल्याणी सवाल करने, चुनौती देने और अपने भाग्य को फिर से परिभाषित करने की ताकत का प्रतीक है।