अब ट्रेनों के साधारण कोच में भी शताब्दी जैसी बड़ी खिड़कियां लगाई

नई दिल्ली । भारतीय रेलवे ने अपने यात्रियों की सुविधाओं के लिए नए एलएचबी कोच में खिड़कियों को बड़ा कर दिया है। यह इस‎लिए ‎किया है ता‎कि लोगों का सफर और आनंदमय बनाया जा सके। हालांकि, बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि ऐसा ‎किस ‎लिए ‎किया जा रहा है। बता दें ‎कि पहले बड़ी कांच वाली विंडो केवल विस्टाडोम कोच में ही लगाई गई थीं। यह विंडो आपको वंदे भारत ट्रेनों में भी देखने को मिली होगी। अब इन्हें सामान्य कोच में भी लगा दिया गया है। ऐसा यात्रियों को पैनोरैमिक व्यू देने के लिए किया गया है। पैनोरैमिक व्यू भी आपको विस्टाडोम कोच में ही देखने को मिल रहा था। अगर आम भाषा में कहा जाए तो 160-175 डिग्री तक का व्यू दिखाने वाली खिड़की को पैनोरैमिक विंडो कहा जाता है जो छोटी खिड़कियों से संभव नहीं है। एलएचबी कोच में भी अब विंडो साइज 1100 एमएम कर दिया गया है। बता दें ‎कि अब विस्टाडोम और एलएचबी कोच में बड़ी विडों के साथ स्क्रूलैस मॉड्यूलर इंटीरियर लगाया गया है। वहीं खिड़कियों पर पीवीबी फिल्म भी लगाई गई हैं। ट्रेन कोट में गर्मी कम हो तो हीट इंसुलेशन के लिए भी खास तरह की शीट का इस्तेमाल किया गया है।
बता दें ‎कि एक एलएचबी कोच में 2 फिक्स्ड विंडो, 4 इमरजेंसी ओपनेबल विंडो और हॉपर टाइप 3 विंडो होती हैं। लिंक हॉफमैन बुश जिन्हें आमतौर पर एलएचबी कोच कहा जाता है भारतीय रेलों में लगाए जा रहे नए तरह के कोच हैं। इसका नाम जर्मनी की कंपनी के नाम पर पड़ा है। इस कोच को सबसे पहले भारतीय रेलवे ने 2000 में इस्तेमाल किया था। पहले इन्हें जर्मनी से आयात किया जाता था लेकिन 2000 के बाद से इसे पंजाब के कपूरथला स्थित रेल कोच फैक्ट्री में बनाया जाने लगा। इन कोच की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे इंजन 160 ‎किमी प्रति घंटे की रफ्तार से खींच सकता है। यह काम पहले वाले कोच से नहीं हो सकता था।