रीजनल पार्क में 68 वर्ष पहले बने नगर निगम के क्वाटर्स में रहने वाले चार परिवारों की जान पर मंडरा रहा ख़तरा –

:: कभी भी भरभराकर गिर सकती है इतने पुराने जीर्ण-शीर्ण भवन की छत और दीवारें ; निगम अधिकारी भी बेखबर ::
इन्दौर। करोड़ों रुपए की लागत से राजीव गांधी चौराहा स्थित रीजनल पार्क के अंदर बने नगर निगम कर्मचारियों के आवास गृह इतने जर्जर और जीर्ण-शीर्ण स्थिति में पहुंच गए हैं कि यहां रहने वाले चारों परिवार किसी भी दिन दुर्घटना के शिकार बन सकते हैं। नगर निगम के संबंधित अधिकारियों को कई बार इस भयावह स्थिति से अवगत कराया जा चुका है, लेकिन कानों में तेल डाले इन अधिकारियों को शायद किसी बड़े हादसे का इंतजार है।
रीजनल पार्क में वैसे तो नगर निगम की ओर से पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कई साधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं, लेकिन सन 1955 में निर्मित चूने और ईंट से बने इन क्वाटर्स की जर्जर हो रही हालत पर किसी का ध्यान नहीं जा पा रहा है। रीजनल पार्क के जिम्मेदार अधिकारी भी अपने वरिष्ठ अधिकारियों पर जिम्मेदारियों का ठीकरा फोड़कर स्वयं को पाक-साफ बताने से नहीं चूक रहे हैं। सामान्य ज्ञान की बात है कि 1955 में बने इन क्वाटर्स की उम्र आज 68 वर्ष के करीब हो चुकी है। इस बीच दीवारों की दरारों और छतों की मरम्मत के नाम पर भी थेगलाबंदी जारी रही, लेकिन यहां रहने वाले परिवारों के साथ दुर्घटना की आशंका की तरफ किसी का भी ध्यान नहीं जा पा रहा है। अनेक बार वरिष्ठ अधिकारी यहां आकर निरीक्षण भी कर चुके हैं, लेकिन रीजनल पार्क की चकाचौंध के चक्कर में वे इस जीर्ण-शीर्ण भवन की सुध लेना भूल ही गए हैं। नगर निगम के जो कर्मचारी अपने परिजनों के साथ यहां रह रहे हैं, उन्हें भी पता है कि यह भवन कभी भी भरभराकर गिर सकता है, लेकिन मुफ्त में मिले इन क्वाटर्स की सुविधा के चक्कर में वे अपनी और अपने परिजनों की जान के साथ खुला खिलवाड़ कर रहे हैं। नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी, महापौर और आयुक्त को चाहिए कि वे किसी बड़े हादसे के पूर्व इस क्वार्टर में रहने वाले कर्मचारियों एवं उनके परिजनों की जान-माल की हिफाजत के लिए आवश्यक कदम उठाएं और उन्हें यहां से हटाकर सुरक्षित स्थान पर बसाएं, अन्यथा कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।