उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने नक्सलियों से भी पुनर्वास नीति के लिए मांगे सुझाव
नक्सलियों से वार्ता की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम : विजय शर्मा
अच्छी पहल का प्रायोजित विरोध आखिर क्यों
जगदलपुर । नक्सली समस्या के निराकरण और नक्सलियों के पुनर्वास की दिशा में छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। मगर जब भी सरकार कुछ अच्छा करने की कोशिश करती है कुछ संगठन प्रायोजित तरीके से विरोध में खड़े हो जाते हैं। ऐसा ही कुछ इन दिनों बस्तर में देखने को मिल रहा है। छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री विजय शर्मा ने नक्सल प्रभावित लोगों और नक्सलियों के लिए बनने वाली पुनर्वास नीति पर सुझाव के लिए जगदलपुर में मेल आईडी, गूगल फॉर्म जारी किए। उप मुख्यमंत्री और गृह मंत्री विजय शर्मा ने जगदलपुर में नक्सलियों से वार्ता की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाते हुए पुनर्वास नीति पर सुझाव के लिए ईमेल आईडी और गूगल फॉर्म जारी कर माओवादियों से आग्रह किया है कि वे स्वयं बताएं कि उनके लिए पुनर्वास नीति कैसी होनी चाहिए? गृहमंत्री श्री शर्मा ने कहा कि मैं हमेशा से कहता आया हूं कि वार्ता के सारे रास्ते खुले हैं और इसके लिए हमारी भाजपा की विष्णुदेव सरकार ने नियद नेल्लानार नाम से योजना लाकर गांव में सड़क, पानी, स्वास्थ्य, चिकित्सा सुविधा आरंभ कर समानता और विकास का एक वातावरण तैयार कर दिया है और यह बात भटके हुए युवा अच्छे से समझ रहे हैं। इसीलिए हम उन्हीं से पूछ रहे हैं कि उनकी पुनर्वास नीति क्या होनी चाहिए। ताकि मुख्यधारा से जुड़कर वे भी प्रदेश और देश के विकास में भागीदारी निभा सके। पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आप और समाज नक्सलवाद की समस्या के निराकरण के लिए सबसे ज्यादा समर्थ हैं। सरकार स्वयं मानती है कि एंटी नक्सल आपरेशन ही समस्या का समाधान नहीं है। यह तो सरकार के प्रयास का बहुत छोटा सा हिस्सा मात्र है। सरकार का मुख्य प्रयास प्रभावित क्षेत्र में विकास करना, आदिवासी क्षेत्र की सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास के कार्य करना है। साथ ही साथ जो युवा नक्सलवादी विचारधारा छोड़कर पुनर्वासित हुए हैं, उनके लिए हमारी सरकार कार्य कर रही है और उनके सर्वांगीण विकास की योजना आगे बढ़ा रही है। उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने युवाओं को भड़काने वाले नक्सली नेताओं से पूछा है कि चीन जैसे देशों में भी माओवाद है, लेकिन वहां सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक और व्यक्तिगत स्वतंत्रता शून्य है।क्या वे ऐसा राज्य चाहते हैं? उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ की पुनर्वास नीति बहुत ही अच्छी है लेकिन उसे और बेहतर बनाने के लिए किसी भी राज्य में जाकर अध्ययन करने के लिए हम तैयार हैं, परंतु मुख्य विषय यह है कि न अधिकारियों को समर्पण करना है, न पत्रकारों को, न शासन में बैठे लोगों को और ना आमजनों को। समर्पण तो माओवादियों को करना है और यह पहल उन्हीं के लिए है कि वह स्वयं बताएं कि उनके लिए पुनर्वास नीति कैसी होनी चाहिए? इस दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव, बस्तर जिला भाजपा अध्यक्ष रूपसिंह मंडावी, चित्रकोट विधायक विनायक गोयल, सुभाऊ कश्यप और नगर के सभी वरिष्ठ पत्रकार उपस्थित थे।
तब क्यों नहीं उठाते आवाज?
सरकार किसी भी पार्टी की हो, वह नक्सल समस्या दूर करने की दिशा में जरूर काम करती है। लेकिन सर्व आदिवासी समाज जैसे कुछ संगठन जो आदिवासियों के हितों की रक्षा करने का दावा करते हैं और हर मुद्दे पर सरकार के खिलाफ खड़े हो जाते हैं। उप मुख्यमंत्री और गृहमंत्री विजय शर्मा ने नक्सल प्रभावित लोगों और नक्सलियों पुनर्वास के लिए नक्सली नेताओं के साथ ही सभी से सुझाव भी मांगे हैं। प्रदेश की भाजपा सरकार में विजय शर्मा के गृह विभाग सम्हालते ही नक्सलियों पर चौतरफा हमले हुए, सैकड़ों नक्सली मारे गए और नक्सल प्रभावित गांवों में विकास की रौशनी पहुंचने लगी है। अब जब सरकार नक्सलियों के लिए पुनर्वास नीति पर कार्य कर रही है, तब यह सर्व आदिवासी समाज सरकार के विरोध में आकर बंद जैसे आयोजन कर सरकार की मंशा को डिगाने का कार्य करने लगा है। विजय शर्मा पहले गृहमंत्री हैं जिन्होंने नक्सली वारदात के बीच नक्सल गढ़ के गांवों में कदम रखे, पीड़ितों का दर्द साझा किया, उनके लिए जरूरी इंतजाम किए। अब सर्व आदिवासी समाज प्रायोजित तरीके से बीजापुर मुठभेड़ के बहाने सरकार के कदम को रोकने का प्रयास कर रहा है। ये तथाकथित आदिवासी नेता तब क्यों मौन साधे रहते हैं, ज़ब नक्सली बेकसूर आदिवासियों की हत्या उनके परिजनों के सामने कर देते हैं? आदिवासियों का अपहरण कर ले जाते हैं? बाहरी नक्सली स्थानीय आदिवासियों को ढाल की तरह इस्तेमाल करते हैं। यह बात हर सरकार कर दौर में सामने आ चुकी है। तब नक्सलियों के खिलाफ सर्व आदिवासी समाज के स्वयंभू नेता आवाज क्यों नहीं उठाते? वहीं बस्तर में आदिवासियों का धर्मान्तरण एक बड़ी समस्या बन गई है। इसकी वजह से आदिवासी संस्कृति, परंपराएं नष्ट होती जा रही हैं। आदिवासियों का अस्तित्व संकट में आ गया है। इसके खिलाफ सर्व आदिवासी समाज आखिर क्यों खड़ा नहीं होता? यह सवाल लाजिमी है। उप मुख्यमंत्री और गृहमंत्री विजय शर्मा जो कदम उठा रहे हैं, वह स्वागत योग्य है। इसमें आदिवासियों का भी हित जुड़ा हुआ है।