देवर्षि नारद जयंती पत्रकार सम्मान समारोह आयोजित

::एक्सप्रेस मीडिया सर्विस के उमेश रेखे हुए सम्मानित::
इन्दौर प्रति वर्षानुसार इस वर्ष भी ज्येष्ठ कृष्ण द्वितीया , 25 मई 2024 , शनिवार को देवर्षि नारद जयंती कार्यक्रम का आयोजन स्थानीय एसजीएसआईटीएस के गोल्डन जुबली हाल में किया गया। आयोजन के मुख्य वक्ता आध्यात्मिक गुरु पण्डित विजयशंकर मेहता थे और इस वर्ष की परिचर्चा का विषय – देवर्षि नारद का कृतित्व – पत्रकारिता का पाथेय था। कार्यक्रम के आयोजक – इन्दौर प्रेस क्लब, पत्रकारिता विभाग- देवी अहिल्या विवि, एवं विश्व संवाद केंद्र मालवा थे। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती व देवर्षि नारदजी के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलन‌ और उन्हें माल्यार्पण कर पं. माधव शर्मा के स्वरबद्ध श्रीनारद स्त्रोत के पाठन के साथ हुआ। कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार एक्सप्रेस मीडिया सर्विस के उमेश रेखे सहित अन्य पत्रकारों का सम्मान भी किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रख्यात कथाकार एवं आध्यात्मिक गुरु पं. विजय शंकर मेहता ने अपने उद्बोधन में कहा कि जिस प्रकार नदियां स्वयं अपना जल नहीं पी पाती हैं, ठीक उसी प्रकार सच्चा पत्रकार व्यक्तिगत प्राप्ति के इतर समाज के लिए पुरुषार्थ करता है। एक सच्चे पत्रकार के विचारों में ओज होता है और कलम में तेजस्विता होती है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि मंथरा रामायण का ऐसा चरित्र है, जिसने राजमहल में रहते हुए, घर फोड़ने का कार्य किया – यह विध्वंसकारी पत्रकारिता का उदाहरण है। सत्ता के आसपास होने वाली पत्रकारिता को मंथरा वृत्ति से बचने का प्रयास करना चाहिए। अच्छी पत्रकारिता के लिए, जानकारी के साथ-साथ ज्ञान और विवेक की भी आवश्यकता होती है।
वर्तमान पत्रकारों को पत्रकारिता के लिए हनुमानजी का उदाहरण देते हुए पं. विजय शंकर मेहता ने कहा कि जैसे रावण के समक्ष हनुमानजी ने निडर हो, आंख में आंख डाल कर बात की थी, ठीक इसी प्रकार पत्रकार को भी सत्य का आधार लेकर निडर और निष्पक्ष पत्रकारिता करनी चाहिए। इस प्रकार नारदजी एवं हनुमानजी की सात्विक वृत्ति का उदाहरण दे कर उन्होंने पत्रकारों को सत्य के साथ अडिग खड़े रहने का संदेश दिया और कहा कि हम सभी के समस्त कार्यों का साक्षी ईश्वर हैं।
विश्व संवाद केंद्र के अध्यक्ष दिनेश गुप्ता एवं सोनाली नरगुंदे ने सभी अतिथियों के प्रति आभार प्रकट किया। कार्यक्रम का संचालन मनीष काले ने किया। कार्यक्रम में इन्दौर के पत्रकार, साहित्यकार, स्टूडेंट्स तथा प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन जाह्नवी द्वारा वंदे मातरम गायन के साथ हुआ।