मधुबनी । मधुबनी जिले में स्थित कोईलख भगवती सिद्ध पीठ में भक्त की समस्त मनोकामना पूर्ण होती है। यहां बहुत दूर दूर से लोग अपनी समस्या को लेकर माता के दरबार में आते हैं और मां उनकी सभी इच्छाओं को पूरी करती हैं। मां का यह मंदिर करीब 300 सालों से भी ज्यादा पुराना है। माता के द्वार से कोई निराश नहीं लौटता है मां करती हैं सबकी मनोकामना पूर्ण। मां काली के इस रौद्र रूप को शांत करने के लिए स्वयं शिव को आना पड़ा था। जो भी यहां जिस कामना से आता है मां काली उसकी संपूर्ण इच्छाओं को पूरा करती हैं। बस सच्चे मन से पूजा की जाए।
साथ ही एक कहावत यह भी जुड़ी है कि जनक नंदनी मां सीता की कुल देवी हैं ये कोईलख भगवती। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि मां सीता की कुलदेवी यानी कि जनक की कुलदेवी हुआ करती थीं। वर्षों पूर्व लगभग 300 वर्ष से भी ज्यादा पहले इस गांव यानी कि कोईलख से होकर लक्ष्मण नदी निकलती है ऐसे में बाढ़ के पानी के बहाव के साथ राजा जनक की कुल देवी भी बह कर इस गांव में आ गई हैं। जब लोगों ने मां की मूर्ति देखी तो प्राण प्रतिष्ठा की। इसी के बाद से यहां पूजा पाठ शुरू कर दी गयी। अब तो यहां विशाल मंदिर भी ग्रामीणों के द्वारा बना दिया गया है। पंडित टुनटून मिश्रा बताते है की इस मंदिर में मां काली के रुद्र रूप की पूजा होती है। माता की मूर्ति में भी साफ-साफ देखा जा सकता है कि मां चंडी शिव के माथे पर पैर रखे क्रोध में हैं और उनको शांत करने के लिए स्वयं शिव बीच रास्ते में लेट जाते हैं ताकि महा काली क्रोध त्याग दें और शिव सृष्टि को बचा सकें। वहीं यहां के पंडित बताते हैं कि इस मंदिर में साल के 365 दिन बली भी दी जाती है। इसके साथ खोईंचा भी भरा जाता है गांव में माता के इस मंदिर के अलावा कहीं भी पूजा अर्चना नहीं की जाती है। अगर लोग प्रयास भी करते हैं की दुर्गा पूजा का कहीं और भी पंडाल बनाकर पूजा करते है तो नहीं होती है ऐसे में महा काली नाराज हो जाती हैं और कुछ घटना घटित हो जाती है। पंडित टुनटून मिश्रा बताते है की एक बार इस तरह की घटना घटित भी हुई है तब से अब ग्रामीण यहीं माता रानी की पूजा करते हैं कहीं और करने का प्रयास भी नहीं करते हैं।