हरदा | पेट की आग के आगे शिक्षा की अलख जगाना दुभर कार्य है।विद्यार्थी इसके चलते अपने माता पिता के कामों में मदद करने को मजबूर रहते है।वहीं शिक्षकों को शिक्षा प्रसार के अतिरिक्त कामों के बोझ के बावजूद विद्यार्थियों की परीक्षा में उपस्थिति के लिए भी मशक्कत करनी पड़ती है।विगत दिनों शिक्षकों ने कक्षा 5 वीं एवं 8 वीं की पूरक परीक्षा में विद्यार्थियों को शामिल करने के लिए जिले के हंडिया ब्लॉक के गांव – गांव एवं नर्मदा के डूब प्रभावित क्षेत्रों में उभरे टापुओं में विद्यार्थियों को ढूंढा एवं परीक्षा में शामिल होने के लिए प्रेरित किया।शिक्षक, विद्यार्थियों को उनके परिजनों की मदद से नाव में बैठाकर लाए,साथ ही उनको आवागमन का साधन भी उपलब्ध कराया।ताकि विद्यार्थी हंडिया आकर परीक्षा में उपस्थित हो।उल्लेखनीय है कि शिक्षकों के इस जज्बे को प्रदेश के परिवहन एवं स्कूल शिक्षा विभाग मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सराहा,उन्होंने लिखा आपका प्रयास नौनिहालों के जीवन पर सार्थक प्रभाव डालेगा।
गौरतलब है कि जिले के हंडिया ब्लॉक अंतर्गत ऐसे गांव के स्कूल जिनमे अध्ययनरत विद्यार्थियों की अनुपस्थिति के कारण वार्षिक परीक्षा परिणाम प्रभावित हुआ था, गांव जोगा कलां, साल्याखेड़ी, उढाल के स्कूल के विद्यार्थियों को जनशिक्षक अनूप शर्मा,पूजा जामले,रीना धारसिया,देवीसिंह पटेल,अरविंद जायसवाल,ग्रामीण रामविलास केवट,शिवनारायण केवट,दीपक केवट,दिनेश केवट एवं शिक्षक साथियों के साथ सघन संपर्क अभियान चलाकर ढूंढा। जन शिक्षक अनूप शर्मा ने बताया कि ग्राम रामपुरा की कक्षा 5 वीं में दर्ज कुल 2 विद्यार्थी में 1 विद्यार्थी अनुपस्थित रहने के कारण परीक्षा परिणाम 50 प्रतिशत रहा,वहीं जोगा कलां में दर्ज कुल 17 विद्यार्थियों में 13 विद्यार्थी माता पिता की आजीविका में मदद के लिए टापू पर चले गए थे,इसलिए परीक्षा परिणाम 30 प्रतिशत रहा है।उन्होंने बताया कि गांवों में विद्यार्थी एवं उनके माता पिता द्वारा पलायन करने से स्कूल में उपस्थिति प्रभावित होती है,इस संदर्भ में तहसीलदार द्वारा ऐसे पालकों को नोटिस दिया जा चुका है।ज्ञात हो
विगत दिनों जिला पंचायत सीईओ रोहित सिसोनिया द्वारा वार्षिक परीक्षा प्रभावित होने से नाराजगी जताकर मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए थे।