:: लक्ष्य निर्धारित कर सूक्ष्म कार्ययोजना बनाने के दिये निर्देश ::
:: अभी तक 20 लाख पौध रोपण के लिए 2 हजार से अधिक स्थान चिन्हित ::
इन्दौर । कलेक्टर आशीष सिंह ने बुधवार को इन्दौर जिले में आगामी दिनों में राज्य शासन के जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत वृक्षारोपण के लिए चलाये जाने वाले महा अभियान की तैयारियों की समीक्षा की। तैयारियों की समीक्षा के लिए आयोजित की गई। बैठक में बताया गया कि महा अभियान में लक्ष्य की पूर्ति के लिए जोर-शोर से तैयारी जारी हैं। बताया गया कि अभी तक 20 लाख पौध रोपण के लिये 2 हजार से अधिक स्थान चिन्हित कर लिये गये हैं और पौध रोपण के लिए स्थान चयन किये जा रहे हैं। पौध रोपण के लिये विशेषज्ञों की सलाह भी ली जा रही है।
वृक्षारोपण के महा अभियान के लिए व्यापक तैयारियां तेजी से जारी है। सभी संबंधित विभागों द्वारा अपने स्तर पर रिक्त भूमियों का चयन कर उनमें वृक्षारोपण की तैयारी की जा रही है। इन्हीं तैयारियों की समीक्षा के लिए कलेक्टर आशीष सिंह ने आज यहां कलेक्टर कार्यालय में बैठक ली। बैठक में उन्होंने शासकीय विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिये कि चिन्हित स्थानों पर पौधारोपण के लिए तैयारी अभी से प्रारंभ कर दी जाए। भूमि तैयार कर ली जाए। पौधों की उपलब्धता भी सुनिश्चित कर लेवें। वृक्षारोपण के लिए रिक्त भूमियों का और चिन्हांकन करें। चिन्हित भूमि पर वृक्षारोपण के लिए लक्ष्य निर्धारित कर उसकी पूर्ति के लिए सूक्ष्म कार्ययोजना बनाये।
बैठक में बताया गया कि यह अभियान समाज की व्यापक सहभागिता के साथ आयोजित किया जाएगा। इस अभियान में समाज के हर वर्ग की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। कलेक्टर आशीष सिंह ने आम नागरिकों से आग्रह किया है कि वे इस अभियान में सक्रिय रूप से जुड़कर अधिक से अधिक वृक्षारोपण करें।
बैठक में नगर निगम आयुक्त शिवम वर्मा, डीएफओ महेंद्र सोलंकी, जिला पंचायत के सीईओ सिद्धार्थ जैन, स्मार्ट सिटी के सीईओ दिव्यांक सिंह, अपर कलेक्टर गौरव बेनल, इन्दौर विकास प्राधिकरण के सीईओ आर.पी. अहिरवार, अपर कलेक्टर सपना लोवंशी सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे। बैठक में कलेक्टर आशीष सिंह ने अभियान के क्रियान्वयन के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि अभियान में सभी अधिकारी अपनी सक्रिय भूमिका निभाये। वृक्षारोपण कार्य को प्राथमिकता के साथ करें। सूक्ष्म कार्ययोजना में जगह एवं पौधों की उपलब्धता, सिंचाई के साधन, पौधों की जीवितता के प्रबंध आदि का उल्लेख भी करें।