संभावना गतिविधि में करमा एवं घसियाबाजा नृत्य की प्रस्तुति

भोपाल । मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में नृत्य, गायन एवं वादन पर केंद्रित गतिविधि संभावना का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें 30 जून, 2024 को दोपहर 02 बजे से जियालाल एवं साथी, डिण्डोरी द्वारा गोण्ड जनजातीय करमा नृत्य, लालबहादुर घासी एवं साथी द्वारा घसियाबाजा नृत्य की प्रस्तुति दी गई। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय़ में प्रति रविवार आयोजित होने वाली इस गतिविधि में मध्यप्रदेश के पांच लोकांचलों एवं सात प्रमुख जनजातियों की बहुविध कला परंपराओं की प्रस्तुति के साथ ही देश के अन्य राज्यों के कलारूपों को देखने समझने का अवसर भी जनसामान्य को प्राप्त होगा। यह नृत्य प्रस्तुतियां संग्रहालय परिसर में आयोजित की गई।
गतिविधि में सर्वप्रथम जियालाल एवं साथी, डिण्डोरी द्वारा गोण्ड जनजातीय करमा नृत्य की प्रस्तुति दी गई। करमा कर्म की प्रेरणा देने वाला नृत्य है। ग्रामवासियों में श्रम का महत्व है। श्रम को ही ये कर्म देवता के रूप में मानते हैं। पूर्वी मध्यप्रदेश में कर्मपूजा का उत्सव मनाया जाता है। उसमें करमा नृत्य किया जाता है, परन्तु विन्ध्य और सतपुड़ा क्षेत्र में बसने वाले जनजातीय कर्म पूजा का आयोजन नहीं करते। नृत्य में युवक-युवतियाँ दोनों भाग लेते हैं, दोनों के बीच गीत रचना की होड़ लग जाती है। यह नृत्य जीवन की व्यापक गतिविधि के बीच विकसित होता है, यही कारण है कि करमा गीतों में बहुत विविधता है। वे किसी एक भाव या स्थिति के गीत नहीं है उसमें रोजमर्रा की जीवन स्थितियों के साथ ही प्रेम का गहरा सूक्ष्म भाव भी अभिव्यक्त हो सकता है। मध्यप्रदेश में करमा नृत्य-गीत का क्षेत्र बहुत विस्तृत है। सुदूर छत्तीसगढ़ से लगाकर मंडला के गोंड और बैगा जनजातियों तक इसका विस्तार मिलता है।
अगले क्रम में लालबहादुर घासी एवं साथी द्वारा घसियाबाजा नृत्य की प्रस्तुति दी गई। सरगुजा जिले के सुदूर ग्रामीण अँचल में रहने वाले विशेष कर घासी जाति का यह परम्परागत नृत्य एवं जीविका का साधन है। इसमें लौहाटी, शहनाई, टिमकी एवं डपला, गुदुम आदि वाद्य यंत्रों का उपयोग किया जाता है। विवाह एवं तीज त्यौहारों पर इन्हें आमंत्रित किया जाता है। सरगुजा की जनजातियाँ के लिये इस वाद्य पर उतना ही महत्व है, जितना की शहरों की बैण्ड पार्टी का।