धारा 30 का सरकार करेगी रिव्यू

-मदरसों को लेकर बीजेपी विधायक ने लाया अशासकीय संकल्प, शिक्षा मंत्री बोले
भोपाल । विधानसभा के मॉनसून सत्र के पांचवें दिन सदन में अशासकीय संकल्प लाने वाले बीजेपी विधायक अभिलाष पांडे ने बड़ा बयान दिया है। मैं एक अशासकीय संकल्प लेकर आ रहा हूं, जो संविधान की धारा 30 है। मैंने ये बात कही है कई जगह मैंने पढ़ा सुना है जो बच्चे मदरसों में पढ़ते हैं, उन्हें हायर एजुकेशन के लिए दसवीं और बारहवीं में ओपन से पढ़ाई करनी पड़ती है। हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति की बात करते हैं। हम समान एजुकेशन की बात करते हैं, मैं चाहता हूं कि माइनॉरिटी में रहने वाले बच्चे समान शिक्षा नीति के साथ पढ़ाई करें। सभी समाज जो भारत में रहते हैं, उनको अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए और इस दिशा पर मेरा यह कदम है। विपक्ष विकास के मुद्दे पर भी ख़ुश नजर नहीं आया, विपक्ष का काम विरोध करना है। मेरे पास कई ऐसी चीज़ें हैं जिसमें यह बात कही गई है जो गतिविधियां वहां मदरसों में चलती हैं। प्रशासनिक सेवाओं में अल्पसंख्यकों की बड़ी संख्या बढ़ी है। हम उनको समाज की मूल धारा से जोडऩा चाहते हैं, इसलिए अशासकीय संकल्प में लेकर आ रहा हूं।
धारा 30 पर उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि-देश में इस धारा का दुरुपयोग हुआ है। अब समय आ गया है कि इनका रिव्यू करना चाहिए। बीजेपी विधायक द्वारा अशासकीय संकल्प पत्र लाया गया है। निश्चित तौर पर सरकार इसका रिव्यू करेगी। जिस शैक्षणिक संस्था में 51 फीसदी से अधिक बच्चे पढ़ते हैं, उसे अल्पसंख्यक माना जाना चाहिए न कि उसे संचालित करने वाला अल्पसंख्यक है तो उसे उसका लाभ मिले। कहा- अल्पसंख्यक का दर्जा लोगों के जीवन स्तर सुधारने के लिए दिया गया है न कि व्यवसाय में लाभ कमाने के लिए। जो मदरसे सरकार की देखरेख में चल रहे हैं उनकी कोई बात नहीं, लेकिन जो अवैध तौर पर संचालित हो रहे हैं, उन पर नकेल कसनी चाहिए।
सरकार को शर्म आनी चाहिए
इधर मदरसों को लेकर आए अशासकीय संकल्प पर आतिफ अकील भडक़े है। उन्होंने कहा- मासूम बच्चे मदरसों में पढ़ते हैं। उनके खाने पीने की ठीक से व्यवस्था नहीं हो पाती। उनके प्रिंसिपल चंदा करके व्यवस्था करते हैं। उनका जीवन यापन कराते हैं, उनको पढ़ाते हैं। शर्म आनी चाहिए सरकार को। यह वायरस इन लोगों के दिमाग में घुसा है, उसको निकालना पड़ेगा।