-भारत ने रूस को लेकर अपनी स्वतंत्र रणनीति अपनाई
मॉस्को । पीएम नरेंद्र मोदी कल से दो दिवसीय दौरे पर रूस जा रहे हैं। पीएम मोदी के तीसरी बार सत्ता संभालने के बाद ये पहला द्विपक्षीय दौरा है, जहां वी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे। रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद से यह पीएम मोदी का पहला दौरा होगा। दोनों देश साल 2000 से वार्षिक शिखर सम्मेलन आयोजित करते रहे हैं, लेकिन यूक्रेन युद्ध के बाद से यह स्थगित हो गया। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर पीएम मोदी ने इसे अब क्यों शुरू किया है और तीसरे कार्यकाल में पहली द्विपक्षीय यात्रा के लिए मॉस्को को चुनने की वजह क्या है? जब दुनिया के कई देश पुतिन से दूरी बनाए हुए हैं, ऐसे में पीएम मोदी का मॉस्को जाना पुतिन के लिए बहुत मायने रखता है।
भारत और रूस की दोस्ती दशकों पुरानी है। पुतिन और पीएम मोदी की आखिरी मुलाकात सितम्बर 2022 में एससीओ शिखर सम्मेलन में हुई थी। उस दौरान मोदी के बयान की दुनिया में चर्चा हुई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि आज का युग युद्ध का युग नहीं है। तभी से दोनों नेता नहीं मिले हैं। पिछले दो सालों में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के अलावा बहुत कम देश के नेताओं ने रूस का दौरा किया है। यही नहीं, मार्च 2023 में अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय द्वारा जारी किए जाने वाले गिरफ्तारी वारंट के खतरे के चलते पुतिन ने खुद अपनी विदेश यात्राओं को कम कर दिया है। दक्षिण अफ्रीका में हुए ब्रिक्स सम्मेलन से रूसी राष्ट्रपति के दूर रहने के पीछे यही अनुमान लगाया गया था। यूक्रेन को लेकर भारत पश्चिमी देशों की चिंताओं को समझता है और शायद यही वजह है कि उसने पिछले दो साल से रूस के साथ संबंधों में दूरी बनाए रखी है लेकिन यूक्रेन युद्ध के निकट भविष्य में खत्म होने के आसार नहीं दिख रहे हैं, ऐसे में भारत ने अब आगे बढ़ने का फैसला किया है।
बीते दो साल में पश्चिमी दबाव के सामने न झुकते हुए भारत ने रूस को लेकर अपनी स्वतंत्र रणनीति अपनाई है। इसने रूस से रियायती दर पर तेल खरीदने का विकल्प चुना, जिसने वैश्विक तेल की कीमतों और आपूर्ति को स्थिर करने में भी मदद मिली। अमेरिका के प्रतिबंधों के दबाव के बावजूद भारत ने रूस के साथ अत्याधुनिक मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीद पर भी आगे बढ़ने का फैसला किया।