मुंबई । देश के दूसरे सबसे बड़े राज्य महाराष्ट्र में लोकसभा खत्म होने के बाद विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। आम चुनाव में इंडिया गठबंधन के शानदार प्रदर्शन के बाद गठबंधन का प्रमुख दल शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट सियासी गणित साधने में जुट गया है। इसके लिए सबसे बड़े ‘दुश्मन’ शिवसेना पर कब्जा करने वाले नेता और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे हैं। शिवसेना ठाकरे गुट विधानसभा चुनाव में शिंदे को मात देने का कोई भी मौका छोड़ना नहीं चाहती है। इस रणनीति के तहत उद्धव ठाकरे छत्रपति संभाजीनगर के दौरे पर हैं। वे किसानों से बातचीत करने के बाद भाजपा के असंतुष्ट नेता राजू शिंदे शिवसेना ठाकरे समूह में शामिल होने वाले हैं। उनके साथ कई अन्य नेता भी उद्धव गुट में शामिल हो सकते हैं। उद्धव ठाकरे के इस मॉस्टर स्ट्रोक को बीजेपी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के आग्रह के बाद भी राजू शिंदे ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।
राजू छत्रपति संभाजीनगर के पूर्व उपमेयर रह चुके हैं। वह भाजपा के अनुसूचित जाति सेल के प्रदेश प्रभारी थे। उद्धव गुट में जाने से पहले उनका आरोप है कि भाजपा केवल शिंद कैंप के लिए काम कर रही है। लोकसभा चुनाव में हमलोगों ने उनके लिए जी-जान से काम किया, लेकिन उन्होंने हमें कोई क्रेडिट नहीं दिया। कई कार्यकर्ताओं का अब भाजपा में दम घूंटने लगा है। उधर, पूर्व केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे, मंत्री अतुल सावे सहित कुछ नेता राजू शिंदे को मनाते रहे। इन नेताओं के बीच करीब डेढ़ से दो घंटे तक चर्चा हुई। इस बैठक के लिए दानवे ने अपना निर्धारित दौरा रद्द कर दिया। राजू शिंदे को पूर्व विधानसभा स्पीकर हरिभाऊ बागड़े का करीबी माना जाता है। वह 2019 के विधानसभा चुनाव में औरंगाबाद पश्चिम सीट से निर्दलीय मैदान में थे।उन्होंने 43 हजार वोट मिले थे। अब उनके उद्धव गुट में शामिल होने से शिवसेना शिंदे गुट के विधायक संजय शिरसाते की मुश्किल बढ़ जाएगी।
राजू शिंदे की पहचान लंबे समय से भाजपा में अनुसूचित जाति के नेता तौर पर है। वे विधानसभा चुनाव में उद्धव गुट की ओर से मैदान में उतर सकते हैं, जबकि मौजूदा वक्त में यहां के विधायक एकनाथ शिंदे गुट से हैं। इस बीच, राजू शिंदे ने उद्धव ठाकरे की यात्रा के लिए जोरदार प्रचार किया है। पार्टी में शामिल होने से पहले ही राजू शिंदे ने उद्धव के स्वागत में बैनर लगा दिए हैं।