मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने वीडियो जारी कर दी जानकारी

मप्र में जहां श्रीकृष्ण के चरण पड़े, वे तीर्थस्थल बनेंगे
सांदीपनी आश्रम समेत चार स्थल होंगे विकसित, जन्माष्टमी पर होंगे विशेष आयोजन
भोपाल। मप्र में भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े चार जगहों को तीर्थस्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। इनमें उज्जैन का सांदीपनी आश्रम, नारायण धाम, धार जिले का अमझेरा मंदिर और इंदौर के जानापाव शामिल हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुक्रवार को वीडियो जारी किया। इसमें उन्होंने कहा कि सरकार इस पर जन्माष्टमी के पर्व को विशेष तौर पर मनाने जा रही है। सीएम ने कहा कि मध्य प्रदेश भगवान श्रीकृष्ण और भगवान श्रीराम से प्रेरित और पावन भूमि है। जानते हैं इन तीर्थस्थलों का महत्व क्या है।
सीएम ने कहा कि जन्माष्टमी पर हर जिले में मंदिरों की साफ-सफाई व सांस्कृतिक कार्यकम होंगे। भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा, मित्रता के प्रसंग और जीवन दर्शन के साथ भारतीय सांस्कृतिक परम्पराओं, योग आदि पर आधारित विभिन्न विषयों पर विद्वानों के व्याख्यान व सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। सरकारी, निजी स्कूल, कॉलेज में भी कार्यक्रम होंगे।
इन स्थानों पर विकसित होंगे कृष्ण तीर्थ
प्रदेश में जिन चार स्थानों को कृष्ण तीर्थ के रूप में विकसित किया जाएगा उनमें उज्जैन का सांदीपनि आश्रम, महिदपुर का नारायण धाम, धार का अमझेरा धाम और इंदौर का जानापाव शामिल हैं। सांदीपनि आश्रम में गोमती कुंड नामक तालाब भी है, जिसमें भगवान कृष्ण ने पवित्र केंद्रों से सभी पवित्र जल इक_ा किया था, ताकि गुरु सांदीपनि को पवित्र जल प्राप्त करने में आसानी हो। इस तालाब का पानी पवित्र माना जाता है। उज्जैन जिले की महिदपुर तहसील से करीब 9 किमी दूर है नारायण धाम। यहां दुनिया का एकमात्र मंदिर है, जिसमें श्री कृष्ण अपने मित्र सुदामा के साथ में विराजते हैं। नारायण धाम मंदिर में कृष्ण-सुदामा की अटूट मित्रता को पेड़ों के प्रमाण के तौर में भी देख सकते हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि यह मप्र का सौभाग्य है, जहां नारायण धाम है। ये वो स्थान है, जहां भगवान कृष्ण की सुदामा से मित्रता हुई। द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने जिस स्थान से माता रुक्मिणी का हरण किया था, वो अमका-झमका मंदिर धार जिले के अमझेरा में स्थित है। यह मंदिर 7000 साल पुराना है। सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि इंदौर के पास जानापाव नामक स्थान है, जहां विनम्रता और श्रद्धा से परशुराम जी से सुदर्शन चक्र भगवान श्री कृष्ण ने प्राप्त किया था। जानापाव वो स्थान है, जहां कहा जाता है कि जब भगवान श्री कृष्ण 12-13 साल थे, तब परशुराम से मिलने उनकी जन्मस्थली जानापाव गए थे। वहां परशुराम ने कृष्ण को उपहार में सुदर्शन चक्र दिया। शिव ने यह चक्र त्रिपुरासुर वध के लिए बनाया था और विष्णुजी को दे दिया था। कृष्ण के पास आने के बाद यह उनके पास ही रहा।