अमरकंटक ताप विद्युत गृह चचाई के जिम्मेदारों का कोल सेम्पलिंग का काला खेल,

पावर जेनरेटिंग कम्पनी लिमिटेड का कर सकता सिस्टम फेल

अनूपपुर ।अमरकंटक ताप विद्युत गृह चचाई की 210 मेगावाट इकाई का ओवरहालिंग के बाद अचानक लिंकर जाम होने के कारण पाइप फट जाना कॉल सैंपलिंग के नाम पर जिम्मेदारों द्वारा खेले जा रहे कल खेल के सच को उजागर कर रहा है और इसके कारण जानकार सूत्र बताते हैं कि यह कल खेल मध्य प्रदेश पावर जेनरेटिंग लिमिटेड कंपनी का सिस्टम फेल कर सकता है,समय रहते जिम्मेदारों को सालों साल से यहां जमे अधिकारी की रवानगी करनी होगी,अन्यथा यह एसईसीएल के कोल सेम्पलिंग विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर ताप विद्युत ग्रह को दीमक की तरह चाटता रहेगा और जब तक जिम्मेदार जागेंगे तब तक वह पूरे सिस्टम को खोखला कर चुका होगा बहरहाल यह समझना उन जिम्मेदारों को है जो उसे पर भरोसा कर बैठे हैं।
चचाई/अनूपपुर। ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में सालों साल तक पूरे प्रदेश में अपनी एक अलग पहचान रखने वाला अमरकंटक ताप विद्युत केंद्र चचाई इन दोनों विभिन्न विभागों में भ्रष्टाचार को लेकर नई पहचान बना रहा है। जिसमे कोल सेम्पलिंग विभाग की कमान संभालने वाले नंबर एक पर आते हैं यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि विभागीय सूत्र बता रहे हैं। शुक्रवार 27 सितंबर की दोपहर एक तेज धमाके के साथ ताप विद्युत गृह चचाई की 210 मेगावाट इकाई से ऊर्जा उत्पादन बंद हो गया जबकि जुलाई व अगस्त माह के दौरान इसके वार्षिक रखरखाव का कार्य किया गया ऐसे में सवाल खड़ा होना लाजमी है की प्रेशर पार्ट और नान प्रेशर पार्ट का कार्य होने के लगभग 45 दिन के अंदर इतना बड़ा फॉल्ट कैसे आ गया। सूत्रों की माने तो लगातार कोयले के साथ आ रही डस्ट बॉयलर के पाइप में जम हो गई और उसमें क्लिंकर बन गया जिसका अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया और इकाई से क्षमता अनुकूल ऊर्जा उत्पादन लेने की होड़ में वह करते रहे जहां अत्यधिक दबाव पढ़ते ही पाइप फट गया। सच क्या है ताप विद्युत गृह के मुखिया क्यों नहीं बताना चाहते?

क्लिंकर जाम होना खड़े कर रहा सवाल

बीते माह शुक्रवार 27 सितंबर को तेज धमाके के साथ 210 मेगावाट इकाई के बंद होने के वास्तविक कारण अब तक जिम्मेदारों के द्वारा सामने नहीं किए गए और ना ही लापरवाहों के विरुद्ध कोई कार्यवाही की गई अंदर खाने हो रही चर्चा की सूत्रों से जो जानकारी मिली उसके अनुसार क्लिंकर जाम होने के कारण बॉयलर का पाइप फट गया था जिसकी वजह से ऊर्जा का उत्पादन ठप्प हुआ था,अधिकारी बेहतर तरीके से जानते हैं कि क्लिंकर किन कारणों से बनता है कोयले के साथ सतत मिट्टी के अवशेष जाने से क्लिंकर बनकर ठोस हो जाता है,और पाइप से बाहर न होने के कारण पाइप फट जाता है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब कोयले की सैम्पलिंग कोल साइडिंग पहुंच कर ताप विद्युत गृह के अधिकारी स्वयं करते हैं और ताप विद्युत गृह में कोयला आने के बाद दोबारा उसकी सैंपलिंग होती है ऐसे में कोयले के साथ मिट्टी का आना उन जिम्मेदार अधिकारियों की नियत पर खुद सवाल खड़ा करता है। लेकिन यह सब कुछ मध्य प्रदेश पावर जेनरेटिंग लिमिटेड कंपनी के अधिकारीयों की अपनी जांच का विषय है। सूत्र बताते हैं कि यदि इस मामले की जांच हुई तो मिश्रा नामक अधिकारी की हकीकत सामने होगी जिसके द्वारा लगातार एसईसीएल के अधिकारियों के साथ मिलकर इस कल खेल को अंजाम दिया जा रहा है।

कोयले के साथ सतत आते बोल्डर पत्थर

मध्य प्रदेश पावर जेनरेटिंग लिमिटेड कंपनी के द्वारा एसईसीएल की विभिन्न साइडिंगों से अमरकंटक ताप विद्युत गृह चढ़ाई में ऊर्जा उत्पादन के लिए कोयले की आपूर्ति की जाती है कोयला निर्धारित ग्रेड का पहुंचे इसके लिए उसके द्वारा जिम्मेदार अधिकारियों पर प्रति माह लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन यह जिम्मेदार अधिकारी कंपनी के प्रति वफादार न होकर चंद कमीशन के के आगे अपना ईमान बेचकर कंपनी की साख को बट्टा लगा रहे हैं यहां पर सतत कोयले के साथ बड़े-बड़े बोल्डर पत्थर आते हैं जिसको छांटने के लिए एक अलग कम्पनी को
ठेका दिया गया है और सालों साल से यह कंपनी यही कार्य कर रही है, समझ नहीं आता की जब साफ सुथरा कोयले के परिवहन का अनुबंध होता है तो फिर कोयले के साथ मिट्टी व पत्थर अमरकंटक ताप विद्युत गृह चचाई कैसे पहुंचता है इसकी जांच आवश्यक है जो वर्तमान मुख्य अभियंता एम एल पटेल के रहते शायद ही हो पाए?

मेरे लिये जो अच्छा वह हर किसी के लिए अच्छा हो नही सकता,मेरे लिये जो बुरा हो वह हर किसी के लिये बुरा हो नही सकता,सोच अपनी समझ अपनी करना हर कोई अच्छा चाहता पर अच्छा हो नही सकता उंगलियां भगवान पर भी उठती हैं पर तोड़ कोई नही सकता

ताप विद्युत गृह चचाई से ऊर्जा उत्पादन हुआ प्रारंभ,कब होगी लापरवाहों पर कार्यवाही
वार्षिक रख-रखाव के बाद लाइटफ हुई यूनिट 45 दिन के बाद कैसे हुई बंद
इन्ट्रो
अमरकंटक ताप विद्युत गृह चचाई की 210 मेगावाट इकाई से शुक्रवार 27 सितंबर की दोपहर तकरीबन साढ़े तीन बजे तेज धमाके की आवाज के साथ ऊर्जा का उत्पादन बंद हो गया था,आई तकनीकी खराबी के सुधार कार्य के लिए तीन दिन लग गये तब जाकर सोमवार 30 सितंबर की शाम के बाद यूनिट को लाइट किया जा सका, वही इस पूरे मामले में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि 45 दिन पहले ही यूनिट के वार्षिक रख रखाव का कार्य किया गया था जिसमें प्रेशर पार्ट्स एवं नान प्रेशर पार्ट्स के सुधार का कार्य करोड़ों की लागत से कराया गया था।
अनूपपुर। मध्य प्रदेश शासन की आय का एक बड़ा स्रोत ऊर्जा उत्पादन है, इसलिए ऊर्जा उत्पादन में सक्रिय इकाइयों के वार्षिक रख-
रखाव के लिए निश्चित समय तक इकाई को शटडाउन कर कार्य कराया जाता है ताकि वह इकाई अपने निर्धारित अनवरत समय तक कार्य करते हुए ऊर्जा का उत्पादन करती रहे लेकिन वार्षिक रख-रखाव के कार्य में बढ़ती कमीशन खोरी के कारण दोयम दर्ज के होते कार्य से
असमय यूनिट में फाल्ट आ जाता है और उसे ऊर्जा उत्पादन बंद होने एवं दोबारा उसका सुधार कार्य करने पर शासन को करोड़ों के राजस्व का अतिरिक्त नुकसान सहना पड़ता है और तकनीकी जानकार सूत्र बताते हैं कि अमरकंटक ताप विद्युत गृह चचाई की 210 मेगावाट इकाई के वार्षिक रख-रखाव के कार्य में गुणवत्ता की पुर्णतः अनदेखी की गई जिसकी वजह से शायद समय से पहले खराबी आ गई और इकाई से ऊर्जा का उत्पादन बंद हो गया बरहाल तीन दिनों की मस्कट के बाद 30 सितंबर को एक बार फिर इकाई को लाइटअप किया गया उसके बाद उसे ऊर्जा का उत्पादन प्रारंभ हुआ लेकिन यहां लापरवाह पर कार्यवाही कब होगी यह सबसे बड़ा सवाल है।