:: उद्यानिकी फसलों के विकास के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता : कुलगुरु डॉ. शुक्ला
:: उद्यानिकी कॉन्क्लेव को देशभर से आए उद्यानिकी विशेषज्ञों ने किया संबोधित ::
:: संभाग स्तरीय उद्यानिकी कॉन्क्लेव एवं किसान परिचर्चा का हुआ आयोजन ::
इन्दौर । मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशा अनुरूप उद्यानिकी फसलों से कृषकों को लाभ हो, इस भाव को साकार करने को लेकर संभागायुक्त दीपक सिंह की पहल पर मालवा क्षेत्र में बागवानी क्षमता के लिए रणनीतियां विषय पर उद्यानिकी कॉन्क्लेव एवं किसान परिचर्चा का आयोजन राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि महाविद्यालय इन्दौर में रखा गया।
उद्यानिकी कॉन्क्लेव एवं किसान परिचर्चा को संबोधित करते हुए संभागायुक्त दीपक सिंह ने कहा कि इन्दौर संभाग में उद्यानिकी फसलों के लिए बहुत पोटेन्शियल वाला क्षेत्र है। यहां अलग-अलग जिले में विभिन्न प्रकार की उद्यानिकी फसलें ली जा रही है, जिससे बड़ी संख्या में कृषक जुडे हुए है। संभाग में बड़ी संख्या में किसान उद्यानिकी फसलों और उसके उत्पादकों के विक्रय के लिए नवाचारी पहल अपना रहे ह जो बहुत सराहनीय पहल है। उद्यानिकी फसलों के क्षेत्र में संभाग तेजी से आगे बढ़ रहा है। समय की मांग अनुसार आवश्यकता है कि उद्यानिकी फसलों के उत्पादन से लेकर विक्रय तक के बीच की कड़ी को ओर सशक्त बनाया जाए, जिससे उद्यानिकी फसल लेने वाले कृषकों को अधिक लाभ मिले और वे आत्मनिर्भर होने के साथ आर्थिक रूप से सशक्त हो। इसके लिए आवश्यक है कि संभाग में कृषकों को अधिक से अधिक उद्यानिकी फसलों के लिए प्रेरित करते हुए तकनीकी सहयोग और उत्पाद के बेहतर दाम दिलाने के लिए विशेष प्रयास किए जाए। उद्यानिकी फसलों के प्रसार संबंधित योजनाओं, बैंकों और विभिन्न संस्थाओं से मिलने वाले सहयोग तथा उत्पादित फसल के विपणन और भंडारण सहित आवश्यक सहयोग के लिए सामूहिक रूप से विशेष पहल की जाए। किसानों को उपज का बेहतर मूल्य मिले इसके लिए सभी स्तर पर सामूहिक प्रयास किये जाए। किसान और उपभोक्ता के बीच की दूरी का कम करने के लिए विशेष प्रयास किए जाए। उन्होंने कहा किसानों, उद्यानिकी विभाग, कृषि विशेषज्ञों, तकनीकी विशेषज्ञों, कृषि विद्यार्थियों को एक छत के नीचे लाकर सामूहिक प्रयासों को बल देना होगा। आज का आयोजन इसी कडी की पहल है। उन्होंने निर्देश दिए कि उद्यानिकी कॉन्क्लेव एवं किसान परिचर्चा के दौरान कृषकों और कृषि विशेषज्ञों के संवाद से जो भी बिन्दु अथवा नीतिगत बदलाव संबंधित बात सामने आए उसका दस्तावेज तैयार किया जाए, जो शासन स्तर पर नीतिगत निर्णय में महत्वपूर्ण रहेंगे।
कार्यक्रम को राजमाता विजयाराजे सिंधिया विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. अरविंद कुमार शुक्ला ने संबोधित करते हुए कहा कि कृषि और उद्यानिकी फसलों के विकास के लिए अलग-अलग स्तर पर प्रयास हो रहे है लेकिन आवश्यकता है कि सभी को सामूहिक प्रयास करते हुए कृषकों को बेहतर कृषि तकनीक के लिए जागरूक किया जा सके, जिससे उद्यानिकी फसलों और उसके आर्थिक महत्व को बेहतर तरीके से कृषकों को बताया जाकर कृषकों को आर्थिक रूप से सक्षम और आत्मनिर्भर बनाया जाकें। उन्होंने कहा उद्यानिकी फसलों के प्रति कृषकों की रुचि लंबे समय तक रहे इसके लिए भी विशेष प्रयास करने की आवश्यकता है। इसके लिए क्वालिटी के प्लांट की उपलब्धता सुनिश्चित कराया जाना आवश्यक है। इसके लिए सभी स्तर पर सामूहिक प्रयास आवश्यक है, जिससे किसानों में भरोसे का वातावरण निर्मित हो। उन्होंने कहा उद्यानिकी फसलों में कीट नियंत्रण के लिए विशेष प्रयास करने की आवश्यकता है। इसके लिए किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन के लिए इंटीग्रेटेड कीट नियंत्रण मैनेजमेंट के लिए विशेषज्ञों को विशेष प्रयास करने होंगे। उद्यानिकी फसलें लेने वाले कृषकों को उत्पादन की ग्रेडिंग करने के लिए प्रोत्साहित करने पर बल देना होगा जिससे उन्हें उत्पाद का बेहतर दाम मिल सकें। उद्यानिकी फसलों के प्रसार को बढ़ाने के लिए रिसर्च, कीट नियंत्रण और फसल के विक्रय की तकनीकों के प्रति जागरूक करने के लिए विशेष प्रयास करने होंगे।
डायरेक्टर आईसीएआर पुणे प्याज और लहसुन अनुसंधान केन्द्र डॉ. विजय महाजन ने अपने संबोधन में कहा इन्दौर संभाग में प्याज और लहसुन के लिए अनुसंधान केन्द्र स्थापित किया जाना चाहिए, जिसका लाभ बड़ी संख्या में क्षेत्र के कृषकों को मिलेगा, क्योंकि इन्दौर संभाग सहित मध्यप्रदेश में प्याज और लहसुन उत्पादन के प्रति कृषकों के रुझान को देखते हुए यहां इसकी आवश्यकता है। उन्होंने कहा समन्वित प्रयासों से उद्यानिकी फसलों के विकास और किसानों को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कृषि और उद्यानिकी विशेषज्ञों को देश को कृषि गुरु बनाने के लिए विशेष प्रयास करने की आवश्यकता है। कृषि में महिलाओं का विशेष योगदान है, इसलिए कृषि टेक्नोलॉजी के अधिक से अधिक प्रसार के साथ महिला कृषकों को भी जोड़ने पर जोर देना होगा। प्रोड्यूसर कंपनी के माध्यम से कृषकों को आत्मनिर्भर बनाया सकता है। प्याज और लहसुन के उन्नत बीज उत्पादन को लेकर विशेष प्रयास किये जाए। उन्होंने जर्म प्लाज डेवलप करने की बात भी कही।
कार्यक्रम को राजमाता विजया राजे सिंधिया विश्वविद्यालय की बोर्ड मैम्बर श्रीमती पल्लवी व्यास ने भी संबोधित करते हुए उद्यानिकी फसलों में नवाचारी पहलों को बढावा देने की बात कही। कार्यक्रम को सोयाबीन इंस्टीट्यूट इन्दौर के डायरेक्टर डॉ. के.एस. सिंह ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में डॉ. राजू ने फूलों की खेती के संबंध में विस्तृत जानकारी। डॉ. अमित गोस्वामी, डॉ. अवनि कुमार शर्मा, डॉ. ए.एन.त्रिपाठी, डॉ. आई. श्रीनिवास, डा.के.वी. राव सहित अन्य विशेषज्ञों ने भी संबोधित किया।
कार्यक्रम में विभिन्न उद्यानिकी विशेषज्ञों ने उद्यानिकी फसलों के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। उद्यानिकी कॉन्क्लेव एवं किसान परिचर्चा का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा का पूजन एवं दीप प्रज्वलन कर किया गया। कार्यक्रम में अतिथिगण को प्रतीक चिन्ह शाल श्रीफल भेंट बैठकर सम्मानित किया गया। स्वागत उद्बोधन इन्दौर कृषि महाविद्यालय के डीन ने दिया। कार्यक्रम की रूपरेखा पर प्रकाश संयुक्त संचालक उद्यानिकी विभाग इन्दौर डी.आर. जाटव ने दिया। कार्यक्रम में किसानों के साथ संवाद करते हुए कृषि संबंधित समस्याओं पर परिचर्चा हुई। कार्यक्रम में विभिन्न स्थानों के कृषि विशेषज्ञ, उद्यानिकी विशेषज्ञ, संभाग के उद्यानिकी अधिकारी, कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ, कृषि संकाय के छात्र, बड़ी संख्या में कृषकगण सहित विभिन्न जिलों के विभिन्न विभाग के अधिकारी उपस्थित थे। कार्यक्रम स्थल पर उद्यानिकी फसलों और उत्पादों की प्रदर्शनी विशेष आकर्षण का केन्द्र रही।