इन्दौर | विश्व संवाद केन्द्र मालवा द्वारा आयोजित इस तीन दिवसीय आयोजन नर्मदा साहित्य मंथन का समापन हुआ। साहित्य, सनातन और राष्ट्र के विचारों से ओतप्रोत इस आयोजन में कई वक्ताओं ने अपनी बात रखी। एमएस चैत्रा ने मैकाले शिक्षा पद्धति द्वारा भारतीय ज्ञान परपंरा को प्रतिस्थापित करने के षड्यंत्रों को स्पष्ट किया। तो इतिहास लेखन के इतिहास सत्र में श्रीकृष्ण श्रीवास्तव ने भारतीय इतिहास लेखन की त्रुटियों और उसके दुरगामी परिणामों की व्याख्या करते हुए भारतीय इतिहास के प्रामाणिक स्रोतों का उद्घाटन किया। पत्रकारिता के भारतीय तत्व पर परिचर्चा में वरिष्ठ पत्रकार जयदीप कर्णिक और अमिताभ अग्निहोत्री के साथ सोनाली नरगुंदे सम्मिलित हुईं। वहीं नर्मदा परिक्रमा पर मूर्धन्य लेखक अशोक जमनानी ने भावपूर्ण संवाद में नर्मदा परिक्रमा के आध्यात्मिक और सामाजिक महात्मय के साथ लोकजीवन में नर्मदा के महत्व पर चर्चा की। आयोजन में करीब 25 पुस्तकों का विमोचन भी किया गया।