भारत में 12 सवंत प्रचलन में आए
नई दिल्ली । भारत में 12 संवत प्रचलन में रहे हैं। इनमें प्रमुख रूप से शक संवत,कलचुरी संवत (248 ई) हर्ष संवत 606 ई,लक्ष्मण संवत,नन्द संवत, कॉल संवत, मालवा संवत,गुप्त संवत, त्रिकाल संवत, बौद्ध संवत (544ईसा पूर्व) कलयुग संवत तथा सप्त ऋषि संवत का उल्लेख इतिहास और पुराणों में मिलता है। विक्रम संवत को सिद्धार्थ संवत्सर भी कहा गया है।
प्रजा के कर्ज मुक्त होने पर मिलता था, संवत का अधिकार
पौराणिक काल में जिन राजाओं के राज्य की प्रजा कर्ज मुक्त होती थी। वही राजा सवंत की स्थापना कर सकते थे।हर राजा तो यह अधिकार नहीं होता था। जिनके नाम पर संवत की स्थापना हुई है। उनकी पूजा कर्ज मुक्त थी। महाभारत के युद्ध के बाद युधिष्ठिर ने प्रजा के संपूर्ण ऋण से मुक्त किया था। युधिष्ठिर संवत की स्थापना हुई थी।
विक्रम संवत
राजा विक्रमादित्य के समय प्रजा कर्ज मुक्त थी। उनके दरबार में नवरत्न बराह मिहिर खगोल शास्त्र के आचार्य थे। उन्होंने संवत तैयार किया, जिसे विक्रम संवत के नाम से जाना गया।