नवलखा अग्रवाल संगठन की मेजबानी में चल रहे रामकथा महोत्सव में उमड़ रहा आसपास की 50 कालोनियों के भक्तों का सैलाब ::

इन्दौर | कुंठित, थकी हुई और रूग्ण मानवीयता को सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करती है रामकथा। चेहरे का सौंदर्य तो थोड़े बहुत दिनों का होता है, लेकिन मन और विचारों का सौंदर्य कभी नष्ट नहीं होता। जिस दिन हम अपने हृदय में सदगुणों की प्राण प्रतिष्ठा कर लेंगे, उस दिन स्वयं परमात्मा भी दौड़े चले आएंगे। परमात्मा को पाने के लिए अपनी दृष्टि बदलने की जरूरत है। शबरी के बेर में अथवा सुदामा के चावल में कोई प्रेम नहीं था, प्रेम तो उनके सदगुणों और अपने आराध्य के प्रति श्रद्धा और विश्वास में था। समाज गाय क्या खाती है, इसकी चर्चा नहीं करता वह तो क्या देती है इस पर मंथन करता है। विडंबना है कि हम लोग निर्जला उपवास की जगह निर्लज्ज उपवास करने लगे हैं। उपवास का अर्थ होता है परमात्मा का सानिध्य। ईश्वरीय चरित्र का निर्माण जीवों की भलाई के लिए ही होता है। कुसंग होना तो जन्मजात स्वभाव है, लेकिन सत्संग की प्राप्ति परमात्मा की कृपा के बिना संभव नहीं है।
ये दिव्य विचार हैं प्रख्यात मानस मनीषी महामंडलेश्वर उत्तम स्वामी महाराज के, जो उन्होंने मंगलवार को अग्रवाल संगठन नवलखा की मेजबानी में आनंद नगर खेल परिसर मैदान पर चल रहे रामकथा महोत्सव के दौरान व्यक्त किए। कथा में नवलखा, पालदा, चितावद, आनंद नगर एवं आसपास की 50 कालोनियों के भक्तों का सैलाब उमड़ रहा है। कथा शुभारंभ के पहले भाजपा के प्रदेश संगठन प्रभारी डॉ. महेन्द्रसिंह, विधायक रमेश मेंदोला, भाजपा अध्यक्ष सुमित मिश्रा, पूर्व विधायक जीतू जिराती के साथ संगठन के सुनील बड़गोंदा, संजय हाई-वे, मंडी अध्यक्ष संजय अग्रवाल, अतुल चाय, राजेश सिंघल, आशीष पालदा, गिरधर अग्रवाल, मनीष बंसल, विशाल अग्रवाल आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। विद्वान वक्ता की अगवानी मनीषा बंसल, पिंकी गोयल, पूनम गुप्ता, शकुन गर्ग, पूजा गोयल, कामना अग्रवाल, दीप्ति अग्रवाल, विभा अग्रवाल एवं अमिता अग्रवाल आदि ने की। संगठन के अध्यक्ष महेश अग्रवाल, यजमान समूह के दुर्गेश गर्ग, रामप्रकाश गुप्ता, प्रमुख संयोजक संदीप गोयल आटो, पार्षद मृदुल अग्रवाल सहित आसपास की कालोनियों के प्रमुख प्रतिनिधियों ने कथा स्थल की व्यवस्थाएं संभाली। आनंद नगर खेल परिसर में रामकथा महोत्सव का यह प्रवाह सोमवार 21 अप्रैल तक प्रतिदिन सायं 4 से 7 बजे तक जारी रहेगा। कथा स्थल पर भक्तों की सुविधा के समुचित प्रबंध किए गए हैं।
उत्तम स्वामी ने कहा कि परमात्मा के चरित्र का गुणगान करने से मनुष्य अपने दुर्गुणों से मुक्त हो सकता है। शास्त्रों में 28 तरह के सदगुण और 28 के ही दुर्गुण बताए गए हैं। दुर्गुण के प्रति आकृष्ट होना हमारा जन्मजात स्वभाव होता है, लेकिन सदगुणों और सत्संग की पात्रता तो प्रभु कृपा से ही मिल सकती है। रामकृपा के बिना मनुष्य को पूजा, दान, धर्म, हवन और सत्संग का सौभाग्य नहीं मिल पाता। प्रभु की कृपा हो तो दिव्यांग भी पहाड़ लांघ सकता है। बात यदि दुर्गुणों की करें तो 28 में से 3 दुर्गुण ऐसे हैं, जो मनुष्य को पतन के रास्ते पर ले जाए बिना नहीं छोड़ते। काम, क्रोध और लोभ ये तीनों दुर्गुण जिसमें होते हैं, उसे पतन से कोई नहीं बचा सकता। याद रखें कि सदगुण एक-एक कर आते हैं और जाते साथ-साथ हैं, जबकि दुर्गुण एक साथ आते हैं और जाते हैं एक-एक कर। जिस दिन हमारी दृष्टि में दूसरों में दोष देखने का भाव दूर हो जाएगा, उस दिन परमात्मा की निकटता का रास्ता और पास आ जाएगा। अपने हृदय में सदगुणों की प्राण प्रतिष्ठा किए बिना भगवान की प्रसन्नता संभव नहीं है। सहजता, सुशीलता, सरलता और मर्यादा से युक्त चरित्र ही वंदनीय होता है।