कश्मीर पर मध्यस्थता की जरूरत नहीं
नई दिल्ली । भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के साथ दोनों देशों तनाव बढ़ गया था। लंबे संघर्ष के बाद 10 मई को दोनों देशों के बीच सीजफायर का ऐलान किया गया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बताया कि यूएस ने इस संघर्षविराम में मध्यस्थता की भूमिका निभाई। वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और पाकिस्तान में बीच कश्मीर को लेकर जारी विवाद को भी सुलझा लिया जाएगा। इस पर भारत ने साफ किया आतंकियों को सौंपने के अलावा हम किसी अन्य मुद्दे पर बात नहीं करेंगे। कश्मीर पर हमारी स्थिति बहुत स्पष्ट है, अब केवल एक ही मुद्दा बचा है- पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को वापस करना। इसके अलावा और कोई बात नहीं है। अगर वे आतंकवादियों को सौंपने की बात करते हैं, तो हम बात कर सकते हैं। मेरा किसी और विषय पर कोई इरादा नहीं है। हम नहीं चाहते कि कोई मध्यस्थता करे। हमें किसी की मध्यस्थता की जरूरत नहीं है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के कश्मीर पर दिए बयान से पाकिस्तान में खुशी जताई जा रही है। दरअसल पाकिस्तान पिछले कई दशकों से कश्मीर को विवादित मुद्दा बताता रहा है। वहीं भारत इस मामले में रुख रहा है कि कश्मीर कोई विवादित मुद्दा नहीं है बल्कि पूरा का पूरा कश्मीर भारत का है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के कश्मीर विवाद का हल निकालने के ऐलान से पाकिस्तान में खूब चर्चा हो रही है। पीपीपी सीनेटर शेरी रहमान ने कहा कि भारत कभी नहीं चाहता था कि कश्मीर का मुद्दा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाया जाए। वहीं, इमरान खान की सरकार में सूचना मंत्री रहे चौधरी फवाद खान ने कहा कि कश्मीर समस्या का समाधान भारत के हित में है।
पीओके लौटाने पर होगी बात
विदेश मंत्रालय से जुड़े सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक भारत का साफ कहना है कि कश्मीर के मुद्दे पर हमारा रुख साफ है और किसी भी तीसरे पक्ष की दखल स्वीकार नहीं है। पाकिस्तान अगर आतंकियों को सौंपना चाहता है, तो बातचीत के दरवाजे जरूर खुले हैं। साथ ही भारत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि सिर्फ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को वापस करने के मुद्दे पर बातचीत की जा सकती है। इसके अलावा किसी अन्य मुद्दे पर बातचीत की गुंजाइश नहीं है और न ही हम किसी की मध्यस्थता चाहते हैं।
कश्मीर पर पहले भी विवादित बयान दे चुके ट्रम्प
डोनाल्ड ट्रम्प पहले भी कई बार कश्मीर मुद्दे पर बयान दे चुके हैं। उन्होंने जुलाई 2019 में इमरान खान से मुलाकात के दौरान दौरान ट्रम्प ने दावा किया था कि पीएम मोदी ने उनसे कश्मीर पर मध्यस्थता करने को कहा है। भारत ने इस दावे को गलत बताया था। भारत के जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद फिर से ट्रम्प ने सिंतबर 2019 में कहा था कि वे मध्यस्थ की भूमिका निभाने को तैयार हैं। भारत हमेशा से ट्रम्प की मध्यस्थता के दावे को खारिज करता आया है। भारत का साफ कहना है कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार्य नहीं है। जैसा कि 1972 के शिमला समझौते और 1999 के लाहौर घोषणापत्र में सहमति बनी थी। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भी ट्रम्प ने कश्मीर मुद्दे को लेकर गलत बयानबाजी की थी। उन्होंने तब भी कश्मीर मुद्दे को हजार साल पुराना मुद्दा बताया था।