नई दिल्ली । हाल ही में हांगकांग बैपटिस्ट यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में यह सामने आया कि मुलेठी में मौजूद ‘आइसोलिक्युरिटिजेनिन’ तत्व अग्नाशय के कैंसर समेत अन्य बीमारियों के लक्षणों को कम करने में प्रभावी हो सकता है। भारतीय रसोई में आमतौर पर पाई जाने वाली मुलेठी का आयुर्वेद में विशेष स्थान है। भीषण गर्मी, लू और तपती धरती के बीच शरीर को ठंडक देने और कई बीमारियों से बचाव के लिए मुलेठी एक बेहतरीन प्राकृतिक उपाय है। आयुर्वेद के अनुसार, मुलेठी न केवल शरीर को ठंडा रखती है, बल्कि यह मानसिक शांति भी प्रदान करती है। यह जड़ी-बूटी छोटी-मोटी तकलीफों से लेकर कैंसर जैसी गंभीर बीमारी में भी सहायक मानी जाती है।
आयुर्वेदिक विशेषज्ञ के अनुसार जो लोग गर्मी को सहन नहीं कर पाते या जिन्हें लू जल्दी लगती है, उनके लिए मुलेठी रामबाण साबित हो सकती है। इसका काढ़ा या पाउडर शरीर और मस्तिष्क की गर्मी को शांत करता है और पाचन से जुड़ी कई समस्याओं में राहत देता है। मुलेठी का नियमित सेवन अपच, कब्ज, कच्ची डकार और वात संबंधी विकारों को दूर करता है। मुलेठी के औषधीय गुण केवल पाचन तक सीमित नहीं हैं। यह हृदय स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। मुलेठी का सेवन रक्त संचार को बेहतर बनाता है, जिससे हृदय तक रक्त का प्रवाह ठीक रहता है और हार्ट ब्लॉकेज की संभावना कम होती है।
इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट और प्रोटीन हृदय की मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं और सूजन कम करने में मदद करते हैं, जिससे हार्ट अटैक का खतरा घटता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, हृदय रोग से पीड़ित लोगों को तीन से पांच ग्राम मुलेठी चूर्ण को 15 से 20 ग्राम मिश्री मिले पानी के साथ रोजाना सेवन करना चाहिए, जिससे हृदय की कार्यक्षमता में सुधार होता है। मुलेठी का इस्तेमाल गले की खराश, खांसी, मुंह के छाले और गला बैठने जैसी समस्याओं में भी किया जाता है। इसका रस पुरानी से पुरानी खांसी में राहत देता है।