10 मिनट तक अंतरिक्ष यात्रा, पृथ्वी को ऊपर से देखा
नई दिल्ली । ब्लू ओरिजिन ने रविवार को अपने न्यू शेपर्ड प्रोग्राम की 34वीं उड़ान को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया। यह कंपनी की 14वीं मानवयुक्त उड़ान थी। इस मिशन में छह यात्री शामिल हुए। इस उड़ान के बाद अब तक 75 लोग अंतरिक्ष की यात्रा कर चुके हैं। इनमें पांच लोग ऐसे हैं जिन्होंने दो बार उड़ान भरी है। इस 10 मिनट के मिशन ने अंतरिक्ष यात्रा को लेकर लोगों के नजरिये को बदल दिया है। सिर्फ कुछ मिनट के भारहीन अनुभव ने यात्रियों को ‘स्पेस ट्रैवलर’ बना दिया।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ब्लू ओरिजिन का यह मिशन न सिर्फ तकनीकी सफलता है, बल्कि यह साबित करता है कि अंतरिक्ष यात्रा अब केवल वैज्ञानिकों या अंतरिक्ष यात्रियों तक सीमित नहीं। यह अब आम नागरिक भी इसे अनुभव कर सकते हैं। एनएस-34 मिशन के तहत सभी यात्री अंतरिक्ष की आधिकारिक सीमा यानी करमान लाइन को पार कर गए। अंतरिक्ष की इस सीमा को पार करते ही यात्रियों ने हल्केपन का रोमांच महसूस किया। महज 10 मिनट की इस यात्रा में वे पृथ्वी को अंतरिक्ष से देख पाए और फिर सुरक्षित रूप से टेक्सास में लैंडिंग की।
इस मिशन की खासियत में से एक थे टॉर्न के संस्थापक जस्टिन सन, जिन्होंने हजारों संदेश अपने साथ अंतरिक्ष में लेकर इसे एक वैश्विक सांस्कृतिक आयोजन में बदल दिया। उनका यह कदम तकनीक और समुदाय को जोड़ने का प्रतीक माना जा रहा है। इससे यह मिशन सिर्फ एक तकनीकी उपलब्धि नहीं बल्कि एक सामाजिक जुड़ाव का प्रतीक भी बन गया है। ब्लू ओरिजिन का न्यू शेपर्ड रॉकेट यात्रियों को करमान लाइन तक ले जाता है, जहां वे कुछ मिनटों के लिए भारहीनता का अनुभव करते हैं। इसके बाद रॉकेट सुरक्षित रूप से वापस लौट आता है। यही वजह है कि यह मिशन सिर्फ 10 मिनट में पूरा हो जाता है और यात्रियों को स्पेस टूरिज्म का अनुभव मिलता है।
यह मिशन दिखाता है कि स्पेस एक्सप्लोरेशन अब सरकारी एजेंसियों से आगे बढ़कर निजी क्षेत्र तक पहुंच चुका है। तकनीक, वित्त और उद्यमिता का संगम भविष्य में अंतरिक्ष को आम लोगों के लिए सुलभ बना सकता है। मिशन एनएस-34 ने स्पेस टूरिज्म की दिशा में एक नई उम्मीद जगाई है और अंतरिक्ष को विज्ञान की किताबों से निकालकर आम लोगों की जिंदगी में ला दिया है।