क्या हैं हाई केबिन प्रेशर….जिसके कारण रद्द हुई एयर इंडिया उड़ान

नई दिल्ली । भुवनेश्वर से दिल्ली जाने वाली एयर इंडिया की उड़ान एआई 500 को तकनीकी खराबी के चलते रद्द किया गया। इस खराबी का मुख्य कारण हाई केबिन प्रेशर बताया गया है, जिसने यात्रियों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है। सुरक्षा को देखकर यह फैसला लिया गया।
दरअसल जब विमान 30,000 से 40,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ता है, तब बाहर का दबाव बहुत कम होता है। यात्रियों को सांस लेने में दिक्कत न हो, इसके लिए विमान के केबिन के अंदर हवा का दबाव समुद्र तल से 6,000 से 8,000 फीट की ऊंचाई के बराबर बनाए रखा जाता है। यह दबाव विमान के इंजन से ली गई हवा को कंप्रेस और ठंडा करके नियंत्रित होता है। लेकिन, आउटफ्लो वाल्व के बंद होने या कंट्रोल सिस्टम के फेल होने जैसी तकनीकी गड़बड़ी से केबिन के अंदर दबाव असामान्य रूप से बढ़ सकता है, इस हाई केबिन प्रेशर कहते हैं। यह स्थिति तकनीकी खराबी, सेंसर फेल्योर या मानवीय त्रुटि के कारण हो सकती है। इसके अलावा, अधिक बाहरी तापमान और इंजन के एयर फ्लो सिस्टम में समस्या भी गर्म हवा के फैलाव से दबाव बढ़ा सकती है, जैसा कि इस मामले में भुवनेश्वर के गर्म मौसम में होने की आशंका है।
हाई केबिन प्रेशर की स्थिति बेहद खतरनाक होती है। इससे विमान की बनावट पर असर पड़ सकता है, जिससे खिड़कियां टूटने, ढांचे के कमजोर होने और ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। यात्रियों को भी सिरदर्द, चक्कर या बेहोशी जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
आधुनिक विमानों में सुरक्षा के लिए प्रेशर रिलीफ वाल्व जैसे इंतजाम होते हैं, लेकिन ऐसी तकनीकी खराबी की स्थिति में उड़ान भरना जोखिम भरा होता है। एयर इंडिया द्वारा समय रहते उड़ान रद्द कर यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देना एक जिम्मेदाराना कदम माना जा रहा है।