कोलकाता । बंगाल चुनाव से पहले कोर्ट के इस आदेश को ममता बनर्जी सरकार के लिए ब्रह्मास्त्र माना जा रहा था, जिससे बीजेपी की टेंशन बढ़ सकती है। राज्य की मुख्यमंत्री आरोप लगाती रही हैं कि केंद्र ने तीन साल से बंगाल का मनरेगा फंड रोक रखा है, जिससे लाखों मजदूर प्रभावित हुए। इससे पहले जून में विधानसभा में इसी मुद्दे पर जोरदार हंगामा हुआ था। ममता ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा था, ‘केंद्र सरकार ने अवैध तरीके से बंगाल का मनरेगा फंड रोक दिया है। डबल इंजन वाले राज्यों में भी भ्रष्टाचार हुआ, लेकिन उनका पैसा नहीं रोका गया। सिर्फ बंगाल की वैध राशि जब्त कर ली गई।’
ममता बनर्जी की इस बात पर बीजेपी विधायक भड़क उठे थे। मामला इतना बढ़ गया था कि एक बीजेपी विधायक को निलंबित भी कर दिया गया था। अब हाईकोर्ट के फैसले ने ममता को चुनाव से पहले बड़ा हथियार दे दिया है। लेकिन असली राजनीतिक टकराव अभी बाकी है, क्योंकि केंद्र सरकार ने अब इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया है। यानि आने वाले दिनों में मनरेगा की जंग दिल्ली से लेकर कोलकाता और सुप्रीम कोर्ट तक लड़ी जाएगी। और इस पर पूरे चुनावी मौसम में ‘खेला’ होना तय है। बता दें कि पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक बड़ा मोड़ आया है। केंद्र सरकार ने सोमवार को कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दरअसल कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य में 1 अगस्त से मनरेगा योजना दोबारा शुरू करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को यह आदेश देते हुए सख्त टिप्पणी भी की थी। अदालत ने कि इस योजना को ‘हमेशा के लिए ठंडे बस्ते’ में नहीं डाला जा सकता।